(कविता-जनहित मा जारी) जौन गढ्ढा मा जनम धरिसे ,ओला सपाट बनालवमक्खी-मच्छर ला मारवअउ तुम उनला दूर हकालव. मच्छर के चाबे से होथेडेंगू अउ फायलेरियाऊंकर पेट मा घलो पनपथे चिकनगुनिया मलेरिया.इंकर बचाव करना हे तुम्हला मच्छरदानी लगालवमक्खी-मच्छर ला मारव………. मक्खी के स्पर्श से होथे पेचिस,दस्त अउ पीलिया ऊंकर पांव मा रहिथे बीमारीहैजा अउ मोती-झिरियाइंकर से बच के रहना हे तुम्हलासाफ-सफाई अपनालवमक्खी-मच्छर ला मारव………. खाये-पीये के चीज मा अपन इनला झन बैठारवखोमचा,ठेला ,खुली जगह केचीज ला झन तुम खाववइंकर बीमारी होगे जिनलाओखर इलाज कराववमक्खी-मच्छर ला मारव………. मनखे के दुस्मन हे इमनबहुत बीमारी…
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श्रीमती सपना निगम के कबिता : कुकरी महारानी
कइसने नरी – ला टेड़वायगजब पाँखी फड़फड़ाययेती कुकरी कोरकोरायवोती कुकरा नरियायकूद- फांद के चढ़े खपरा- छानीएला हकालौ हो ननदी- देवरानी . कोड़ा देवय ,नइ मानयगजब कचरा बगरायकहूँ गेंगरवा सपरायएके सांहस – मा खायदिन- भर किन्जरे बर जायसँझा कुरिया- मा ओयलायकोन्हों करे नइ इंकरे निगरानीएला हकालौ हो ननदी – देवरानी . रुखराई – मा चढ़ जायकुकरुस – कू नरियायकहूँ घुरवा देखे पायभात – बासी बिन के खायजेखर खिरपा नइ देवायवोखर घर -मा खुसर जायहवय कुकरी के कोन्हों लागमानीएला हकालौ हो ननदी – देवरानी . सूपा के कनकी – लासरी बीन के…
Read Moreकान्हा के होली ( छत्तीसगढ़ी फाग गीत )
रंग बगरे हे बिरिज धाम मा कान्हा खेले रे होली वृन्दावन ले आये हवे गोली ग्वाल के टोली कनिहा में खोचे बंसी मोर मुकुट लगाये यही यशोदा मैया के किशन कन्हैया आए आघू आघू कान्हा रेंगे पाछु ग्वाल गोपाल हाथ में धरे पिचकारी फेके रंग गुलाल रंग बगरे हे ……………. दूध दही के मटकी मा घोरे रहे भांग बिरिया पान सजाये के खोचे रहे लवांग ढोल नंगाडा बाजे रे फागुन के मस्ती होगे रंगा-रंग सबो गाँव गली बस्ती रंग बगरे हे …… गोपी ग्वाल सब नाचे रे गावन लगे फाग जोरा…
Read Moreमोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )
दुनिया में सबले निराला हे ….मोर कुकरा कलगी वाला हे ….चार बजे उठ जावे ओहा सरी गाव ला सोरियावे ओहा माता देवाला के लीम ला चढ़ के कूकरुसकू नरियावे ओहा गुरतुर ओखर बोली लागे गजब चटपटा मसाला हे मोर कुकरा कलगी वाला हे ….मोर कुकरा रेंगे मस्ती मा यही चल ओखर अंदाजा हे बस्ती के गली गली किंजरेसब कुकरी मन के राजा हे दिल फेक बड़े दिलवाला हे मतवाला हे मधुशाला हे मोर कुकरा कलगी वाला हे ….ओखर, काखी मा चितरी पाखी हे पंजा मा धारी नाखी हे पियुरी चोच…
Read Moreरेमटा टुरा – २ चिपरिन के मही
ममा गाँव मा रहे एक झनठेठ्वारिन दाई अंकलहिन् बेलमार के मइके ओखर बढौवल नाम बेलमरहिन् ओखर घर मा गैया भैसी रहे कोठार बियारा खोरबाहरा मंगलू चरवाहा अऊ , पहटिया मन करे तियारा किसम -किसम के जेवर गहना पहिरे रहे लदलदावैआनी-बानी के चीज़-बसदूध-दही के नदी बोहावै चिपरिन डोकरी सास ओखर मही बेचे बार जावै मही ले वो – मही ले वो गली गली चिल्लावै जेठू के रेमटा टूर हा चिपरिन ला रोज़ बलावै अपन दाई मेर जिद्दी करके रोजेच मही लेवावै ठंडा दिन मा रमकेलिया साग अम्टाहा मा रंधवावै जुर –…
Read Moreरेमटा टुरा के करामात
जेठू के रेमटा टूरा लाकोनो का समझाए नान नान कुकुर के पिला देखे ओला बहुत दउड़ाए दुनो हाथ पसारे वोहादुनो गोड चकराए घुरुवा कचरा कांटा खुटीकहूँ भी खुसर जाये कुकुर पिला ला धरे खातिर भाग दउड मचाएखुदे हपट के गिरे वोहा एको ठन नई सपडाए चल संगी हम पिला पकड़बोओखर दुकान लगाबो नान नान पिला ला बेचबोअऊ पैसा कमाबो अपन दुसर संगवारी मन ला पईसा के धौंस देखाबो पईसा वाले हम बन जाबो पिकनिक पार्टी मानबो अइसने मा फेर चाबिस एक दिन कुकुर पिला के दाई दांत गड गे मांस…
Read Moreराज्योत्सव मेला
अँधा लंगड़ा बड़े मितानी सुने हो हौ तुम कहानी कहूँ जनम के दुनो संगवारी हो है लाग मानी भीख मांग के करे गुजारा उमन दुनो परानी इक दुसर संग मेला घुमात काट दईंन जिनगानी लंगड़ा के रहे नाम बंशी अँधा के गंगा राम धरम धाम के नाम ला लेके कर आइन चारो धाम राजिम जाके राजीव लोचन कर आइन परनाम रायपुर तीर मा डारिन डेरा कारन लगिन अराम वही बखत राज्योत्सव मेला के चले रहे बड नाम मेला घुमे के सउक मा बंशी के होगे नींद हराम लंगड़ा कहे राज्योत्सव…
Read Moreजनकवि कोदूराम ”दलित” की पुत्र वधु श्रीमती सपना निगम के नान्हे कहिनी
अड़हा टूरा के कहिनी हमर गाँव मा एक झन जुंवर्रा टूरा रहिस हे. मूड ला अडबड खजुवाय औ लडर-बडर गोठियावय. ओखर मूड मा बहुत अकन ले जुंवा अउ लीख भरे राहय. एक झन मितान हा ओला बताइस – ”आज-काल जुंवा-लीख ला मारे बर नवा सेम्पू आय हे. एको बेर लगा लेते, तोर समस्या हा हल हो जाही. बने साफ-सुथरा रहे कर भाई ! मितान हा ओला सरीर के साफ-सफाई के महत्व बताइस. जुवर्रा टूरा हा तरिया मा नहाय ला जात रहिस. ओला मितान के बात सुरता आइस.जात-जात सोचिस – आज…
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