गणपति : जयकरी छंद

आव गजानन हमरो – द्वार, पहिराहौं गज मुक्ता हार बुद्धि संग हे रूप अपार, रिद्धि सिद्धि के रंग हजार। गणपति उवाच मोर भक्त पावै – वरदान, गम्मत ला पूजा झन मान मोला देख बने पहिचान, झन होवौ भैया हलकान। जा नानुक ढेला ले आन, थोरिक पानी ले के सान शकुन बना गणेश भगवान,देदे आसन पीपर पान। शकुन खवा दे मनसा – भोग,आडंबर के तज दे रोग जुर जाथे जी जस के जोग,बड़े बिहिनिया होथे योग। हल्ला गुल्ला के काम, देख तोर मन मा घन- श्याम माँदर ढोलक छोड़ तमाम, मनमंदिर…

Read More

गुरमटिया म सावन अउ महतारी

सावन के का बात हे भाई सावन तो मन भावन ए सबो महीना आथे- जाथे फेर सावन तो सावन ए । आघू के गीत शकुन्तला शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी ब्लॉग गुरमटिया म पढ़व. महतारी हर महतारी ए देवी – देवता मन ले बड़े माँ के जनम ह पर बर होथे ओकर त्याग हे सब ले बड़े | आघू के गीत शकुन्तला शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी ब्लॉग गुरमटिया म पढ़व.

Read More

ठुमरी

सावन ह आगे तैं आ जा संगवारी झटकुन नइ आए तव खाबे तैंगारी। नरवा अउ नदिया म ह आए हे मोर मन के झूलना बादर म टंगाए हे। हरियर-हरियर हावय भुइयॉं महतारी झटकुन नइ आए तव खाबे तैं गारी। बड़ सूना लागत हे सावन म अंगना अगोरत हे तोला ए चूरी ए कंगना। सुरता ह ठाढे हावय धर के आरी झटकुन नइ आए तव खाबे तैं गारी। सावन ह आगे तैं आ जा संगवारी झटकुन नइ आए तव खाबे तैं गारी। शकुन्तला शर्मा 288/7 मैत्रीकुँज भिलाई 490006 अचल 0788 2227477…

Read More

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 2

रिमझिम पानी म मन मंजूर हो जाथे काबर बादर के गरजन मोला अब्बड डेरवाथे काबर ? पानी गिरथे तव ए माटी बिकट मम्हाथे काबर रिमझिम पानी ह मोर मन ल हरियाथे काबर? नोनी आही तीजा पोरा म अगोरत हावय महतारी रहि रहि के नोनी के गोड हर खजुआथे काबर? बादर आथे तव मस्त मगन होथे किसान हर तरिया हे मतलाय तभो मोर मन उजराथे काबर ? ‘शकुन’ अगोरत हे मनखे सावन अउ भादो ल धक धक धक सावन आगे मन ल धडकाथे काबर ? शकुन्तला शर्मा , भिलाई [छ ग…

Read More

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 3

आम – लीम- बर- पीपर – पहिरे छत्तीसगढ के सबो गॉंव नदिया नरवा पार म बइठे छत्तीसगढ के सबो गॉंव । धान-बौटका कहिथें सब झन किसम किसम के होथे धान हरियर – हरियर लुगरा पहिरे छत्तीसगढ के सबो गॉंव । हर पारा म सुवा ददरिया राग सुनावत रहिथे ओ संझा कन जस गीत ल गाथे छत्तीसगढ के सबो ग़ॉंव । भिनसरहा ले गॉंव के फेरी भजन- मण्डली करथे रोज देश के पोटा म लुकाय हे छत्तीसगढ के सबो गॉंव । ‘शकुन ‘ जगावव जमो गॉंव ल गॉंव म बसथे भारत…

Read More

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 4

बाबा हर सरकार ल रामलीला ले चुपे-चुप चेताइस हे जनतंत्र के महत्व ल गॉंधी के भाखा म समझाइस हे। बाबा तैं अकेला नइ अस देश तोर संग ठाढे हावय देश ह सत्याग्रह ल आज तोरेच कंठ ले गाइस हे । बाबा तैं फिकर झन कर जनता जाग गए हावय जयप्रकाश के ऑंदोलन हर आज रंग लानिस हे । राज करत – करत आज शासन हर दुस्शासन होगे मिश्र सरिख माहौल आज हमर भारत म आइस हे । ‘ शकुन ‘ जा तहूँ हर गेरुआ टोपी ल पहिर के आ जा…

Read More

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 5

रंग म बूड के फागुन आ गे बइठ पतंग सवारी म टेसू फूल धरे हे हाथ म ठाढे हावय दुवारी म । भौंरा कस ऑंखी हे वोकर आमा मौर हे पागा म मुच – मुच हॉंसत कामदेव कस ठाढे हावय दुवारी म । मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध ह बांदी हो गे आज लाज लुकागे कहॉं कोजनी फागुन खडे दुवारी म । पिंवरा लुगरा पोलका पहिरे मंदिर जावत रहेंव मैं आज दार – भात म करा ह पर गे फागुन खडे दुवारी म । रस्ता देखत रहेंव बरिस…

Read More

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले

आगे बादर पानी के दिन अब तो पानी – पूरा आही बीत गे बोरे – बासी के दिन दार – भात ह अब भाही। फरा अंगाकर रोटी चीला – चटनी संग सब खावत हें खेत – खार म कजरी – करमा भोजली गॉंव-गॉंव गाही । अंगना गली खोर म चिखला नोनी खेलय कोन मेरन सम्हर पखर के बादर राजा सबो झन ल नाच नचाही । संग म पानी के झिपार के गेंगरुआ परछी म आगे भौजी निच्चट छिनमिनही हे ननंद वोला अब डेरवाही । चिक्कन होगे सबके एडी ‘शकुन’ सबो…

Read More

छत्तीसगढ़ी लघुकथा संग्रह – करगा

शकुन्तला शर्मा भिलाई, छत्‍तीसगढ़ शिक्षा – एम.ए.(संस्‍कृत, हिन्‍दी), बी.एड.(सिद्धॉंतालंकार) ब्लाॅग – http://shaakuntalam.blogspot.in कृतियॉं – 1. चंदा के छॉंव म (छत्‍तीसगढ़ी कविता संग्रह), 2. ढ़ाई आखर (कविता संग्रह), 3. लय (गीत संग्रह), 4. शाकुन्‍तल (खण्‍ड काव्‍य), 5. कठोपनिषद् (गीतिमय व्‍याख्‍या), 6. संप्रेषण (गीत संग्रह), 7. इदं न मम (निबंध संग्रह), 8. रघुवंश (महाकाव्‍य), 9. कोसला (चम्‍पू), 10. कुमारसम्‍भव (छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य) अलंकरण – राजभाषा प्रशस्ति पत्र, कुवर वीरेन्‍द्र सिंह सम्‍मान, ताज मुगलिनी अलंकरण, भारती रत्‍न अलंकरण, पं.माधव राव सप्रे साहित्‍य सम्‍मान, दीपाक्षर सम्‍मान, रोटरी क्‍लब द्वारा सम्‍मानित, द्विज कुल गौरव अलंकरण, आचार्य…

Read More