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छंद जयकरी

गणपति : जयकरी छंद

आव गजानन हमरो – द्वार, पहिराहौं गज मुक्ता हार बुद्धि संग हे रूप अपार, रिद्धि सिद्धि के रंग हजार। गणपति उवाच मोर भक्त पावै – वरदान, गम्मत ला पूजा झन मान मोला देख बने पहिचान, झन होवौ भैया हलकान। जा नानुक ढेला ले आन, थोरिक पानी ले के सान शकुन बना गणेश भगवान,देदे आसन पीपर […]

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गीत

गुरमटिया म सावन अउ महतारी

सावन के का बात हे भाई सावन तो मन भावन ए सबो महीना आथे- जाथे फेर सावन तो सावन ए । आघू के गीत शकुन्तला शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी ब्लॉग गुरमटिया म पढ़व. महतारी हर महतारी ए देवी – देवता मन ले बड़े माँ के जनम ह पर बर होथे ओकर त्याग हे सब ले […]

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गीत

ठुमरी

सावन ह आगे तैं आ जा संगवारी झटकुन नइ आए तव खाबे तैंगारी। नरवा अउ नदिया म ह आए हे मोर मन के झूलना बादर म टंगाए हे। हरियर-हरियर हावय भुइयॉं महतारी झटकुन नइ आए तव खाबे तैं गारी। बड़ सूना लागत हे सावन म अंगना अगोरत हे तोला ए चूरी ए कंगना। सुरता ह […]

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गज़ल

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 2

रिमझिम पानी म मन मंजूर हो जाथे काबर बादर के गरजन मोला अब्बड डेरवाथे काबर ? पानी गिरथे तव ए माटी बिकट मम्हाथे काबर रिमझिम पानी ह मोर मन ल हरियाथे काबर? नोनी आही तीजा पोरा म अगोरत हावय महतारी रहि रहि के नोनी के गोड हर खजुआथे काबर? बादर आथे तव मस्त मगन होथे […]

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गज़ल

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 3

आम – लीम- बर- पीपर – पहिरे छत्तीसगढ के सबो गॉंव नदिया नरवा पार म बइठे छत्तीसगढ के सबो गॉंव । धान-बौटका कहिथें सब झन किसम किसम के होथे धान हरियर – हरियर लुगरा पहिरे छत्तीसगढ के सबो गॉंव । हर पारा म सुवा ददरिया राग सुनावत रहिथे ओ संझा कन जस गीत ल गाथे […]

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गज़ल

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 4

बाबा हर सरकार ल रामलीला ले चुपे-चुप चेताइस हे जनतंत्र के महत्व ल गॉंधी के भाखा म समझाइस हे। बाबा तैं अकेला नइ अस देश तोर संग ठाढे हावय देश ह सत्याग्रह ल आज तोरेच कंठ ले गाइस हे । बाबा तैं फिकर झन कर जनता जाग गए हावय जयप्रकाश के ऑंदोलन हर आज रंग […]

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गज़ल

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 5

रंग म बूड के फागुन आ गे बइठ पतंग सवारी म टेसू फूल धरे हे हाथ म ठाढे हावय दुवारी म । भौंरा कस ऑंखी हे वोकर आमा मौर हे पागा म मुच – मुच हॉंसत कामदेव कस ठाढे हावय दुवारी म । मन ह मन मेर गोठियावत हे बुध ह बांदी हो गे आज […]

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गज़ल

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले

आगे बादर पानी के दिन अब तो पानी – पूरा आही बीत गे बोरे – बासी के दिन दार – भात ह अब भाही। फरा अंगाकर रोटी चीला – चटनी संग सब खावत हें खेत – खार म कजरी – करमा भोजली गॉंव-गॉंव गाही । अंगना गली खोर म चिखला नोनी खेलय कोन मेरन सम्हर […]

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कहानी

छत्तीसगढ़ी लघुकथा संग्रह – करगा

शकुन्तला शर्मा भिलाई, छत्‍तीसगढ़ शिक्षा – एम.ए.(संस्‍कृत, हिन्‍दी), बी.एड.(सिद्धॉंतालंकार) ब्लाॅग – http://shaakuntalam.blogspot.in कृतियॉं – 1. चंदा के छॉंव म (छत्‍तीसगढ़ी कविता संग्रह), 2. ढ़ाई आखर (कविता संग्रह), 3. लय (गीत संग्रह), 4. शाकुन्‍तल (खण्‍ड काव्‍य), 5. कठोपनिषद् (गीतिमय व्‍याख्‍या), 6. संप्रेषण (गीत संग्रह), 7. इदं न मम (निबंध संग्रह), 8. रघुवंश (महाकाव्‍य), 9. कोसला (चम्‍पू), […]