सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबे करबे करम तो कमाये देबे,बारी म बीहन जगाए देबे।बदरी ले पानी उतर आही,जंगल म बंसी बजाए देबे।गंगा जल गांव म छींच देबे,दुखला रमायन सुनाये देबे।धुंधरा म हपट उपट जाही,सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबे। शायरे शहर यादव ‘विकास’ ब्रम्हपथ, अम्बिकापुर, छ.ग. मर जवान, मर किसान ए देस के बिधान अलग हे, अतकेच ल जान गा।चोरहा ल चोरहा झन कहिबे, कहिना ल मोर मान गा।चाकू – छुरा के अनठी धरे, लईका मन बाढ़त हवे।का अचरज करथन संगी, लेवत हे जौन प्राण गा।रोजेच सुनथन रेडुआ मं, लोकतंत्र के…
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- Shayare Shahar Yadav “Vikash”