घाम घरी आगे रूख-राई अइलागे। तरिया, नदिया सुखागे अउ कुंआ बोरिंग थर्रागे॥का बतावंव संगी,घाम के कहर।गांव-गांव, शहर-शहरहोवत हे हाहाकार॥भूख-पियास म… Read More
नगरा लुच्चा बनना सरल हे, तंय मनखे बन के बता।मनखे-मनखे एक समान कोनहो गरीब ल झन सता॥धन अऊ बल रावन… Read More
अबिरथा जनम झन गंवा रे, मानुस तन ल पाके। भगवान ल दोस झन दे रे, कुछु नई दे हे कहिके॥… Read More