भूमिका – छत्तीसगढ़ के समाज-परिवार का अंकन मोंगरा एक सफल उपन्यास कृति है जिसमें छत्तीसगढ़ का पारिवारिक एवं सामाजिक जीवुन-रूप अंकित है। आंचलिक उपन्यासकार के लिए आवश्यक होता है कि वह अपनी कृति को उस अंचल विशेष के जीवन से इस पऱकार संयोजित-समन्वित करे जिसे पढ़ कर एक अपरिचित व्यक्ति भी वहां के जन-जीवन के बारे में जान सके। आंचलिक जीवन, प्राकृतिक दृश्यावली, रीति-रिवाज, बोली आदि के स्वरूप उपन्यास में देखे जा सकते हैं। इस दृष्टि से मोंगरा एक सफल उपन्यास है। मोंगरा में एक गरीब किसान का पारिवारिक जीवन…
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दियना के अंजोर (छत्तीसगढ़ी के पहली उपन्यास) शिवशंकर शुक्ल
सर्वाधिकार – लेखकाधीन आवरण – रविशंकर शर्मा प्रथम संस्करण – 1964 द्वितीय संस्करण – 2007 मूल्य – 100 रु. प्रकाशक वैभव प्रकाशन सागर प्रिंटर्स के पास, अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती, रायपुर (छत्तीसगढ़) दूरभाष – (0771) 2262338, मो. 94253-58748 DIYNA KE ANJOR BY : SHIVSHANKAR SHUKLA शुभकामना – पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी वर्तमान युग सचमुच छत्तीसगढ़ के लिए भी नवजागरण काल हो गया है, छत्तीसगढ़ में नव-प्रतिभा का उन्मेष देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है। साहित्य के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के तरुण साहित्यकार अपनी रचना-शक्ति का अच्छा परिचय दे रहे…
Read Moreशिवशंकर शुक्ल के कहिनी
एक गांव मा एक बनिया रहत रहिस । ओखर मन करिस त वो ह परदेस कमाय बर निकल गिस ।दूसर देश म जाके बनिया ह गजबेच्चओ धन कमाईस । फेर धन के भोरहा म वो ह अपन नोनी बाबू ल नई भुलाईस । बनिया ह अपन कमई के जन दोगानी मोटरिया के अपन गांव लहुटे बर तियार होगे । फेर वो ह मने मन गुनिस के घर अमरे के पहिली चिठी डार दौं त घर मा परवार के जम्मो झिन सकला जाहीं । अईसे गुन के बनिया ह गांव बर…
Read Moreकहिनी : डोकरा डोकरी : शिवशंकर शुक्ल
शिवमंगल शुक्ल। हमर छत्तीसगढी भाखा के विद्वान साहित्यकार हें, इमन छत्तीसगढी के पहिली उपन्यासकार यें । इखर उपन्यास ‘दियना के अंजोर’ अउ ‘मोंगरा’ हा मेकराजाला म उपलब्ध हावय । इखर एक ठन लइका मन बर लिखे गये कहिनी किताब ‘दंमाद बाबू दुलरू’ के एक ठन कहिनी ला हम इहां प्रस्तुत करत हन । कथानक लइका मन के रहस्य परेम के कारन थोरकन चित्र बिचित्र हे कहिनी म कहिनीकार का कहना चाहत हे ये हा रहस्यबाद-छायाबाद के बिसय ये लगथे । आपो मन पढव अउ अपन बिचार हमला देवव । संजीव…
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