Shyamu Vishwakarma

इतवार तिहार

एक दिन के बात आय। मैं हर जावत रहेंव आलू बिसाय। झालो घर रटपिट-रटपिट रेंगत हबक ले एक झन मनसे… Read More

11 years ago

सुक्खा तरिया म पानी

गांव म पहली पानी बिना अकाल परय। जेमा आदमी मन भूख के मारे मरयं। बिना भात-बासी के शरीर एकदम कमजोर… Read More

11 years ago

सच्चा चेला

सुन्दरपुर म एक झन बहुत बढ़िया साधु रहय। जेन हर रोज भगवान भक्ति म लीन रहय।येकर कुटिया म बहुत झन… Read More

13 years ago

कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा

शहरिया बाबू आइच गांव म।खड़ा होइस बर पिपर छांव म॥दाई ददा के पाव पलगी भुलागे।बड़ शहरिया रंग छागे॥ये माघ के… Read More

13 years ago

कबिता : बसंत रितु आथे!

हासत हे पाना डारा।लहलहात हे बन के चारा॥कुद कुद बेंदरा खाथे।रितु राज बसंत आथे॥चिरई चिरगुन चहके लागे।गुलाबी जाड़ अब आगे॥लहलहात… Read More

13 years ago

छत्तीसगढ़ के राजिम धाम

बड़ भाग मानी मानुष तन।नंदिया तरिया कहत हे बन॥जग म होगे कुंभ नाम।मोर छत्तीसगढ़ के राजिमधाम॥ऋषि, मुनि के दरसन पाए।दूर-दूर… Read More

13 years ago

मन के लाड़ू

रोज बिगड़ई म परिसान होके बिदही तीस हजार म मेटाडोर ल बेच दीस। घर म न चांउर रहीस न दार,… Read More

13 years ago

आथे गोरसी के सुरता

पागा बांधे बुढ़गा बबापहिरे पछहत्ती चिथरा कुरता।पियत चोंगी तापे खनीयाआथे गोरसी के सुरता॥नंदागे गोरसी नंदागे चोंगी,मन होगे बिमार तन होगे… Read More

13 years ago

नान्हे कहिनी : डोकरा-डोकरी के झगरा

डोकरा-डोकरी के झगरागांव म एक ठन घर में डोकरा-डोकरी रहय। एखर मन के लोग-लइका नई रहिस। डोकरा-डोकरी अतका काम-बुता करय… Read More

13 years ago

रूख लगाय के डाढ़ – कहिनी

एक झन पुराना बाबू कहिस रूख के बदला हमन ला रूख लगा के दिही। अब तुंहर काय विचार हे अब… Read More

13 years ago