Shyamu Vishwakarma

कहिनी : उपास

गांव म एक झन बिमरहा मनखे रहय। रोज के पेट पीरा म बिचारा कुछ काम-बुता करे नई सकय। भात खावय… Read More

14 years ago

डुमर डारा : कबिता

कोचके भौजी भइया लाकइबे जाके सब पाराआज मड़वा गड़ही भाई के काटे जाहा डुमर डारा।हरियर-हरियर छाय लागहीढेड़हा-ढ़ेड़हीन ल जागे लागहीसजाही… Read More

14 years ago

श्यामू विश्वकर्मा के कबिता : मन के आंसू मन म पोंछ ले

मन के पीराकर देथे तन ल खोखलाचाहे होवय जवाननई छोड़य लईका-डोकरा।घुट-घुट के बेंगवाजइसे येती-ओती तलमलाथेनिकाल देबे कुंआ ले ये बेंगवाबिन… Read More

14 years ago

नइए भरोसा संगवारी-रागी

नइए भरोसा संगवारी-रागीहवा पानी अउ आगी।नइए भरोसा संगवारी रागी॥दाई बहनी सबके खाथे किरिया।नइए लाज शरम पिरिया॥न दाई ल, दाई जानत… Read More

14 years ago

गोठ बात : पानी बचावव तिहार मनावव

तैं माई लोगिन होतेस त जानतेस पानी-कांजी भरे म कतका दु:ख अउ सुख लागथे तोला काय लगे हे। भात ल… Read More

14 years ago

बखत के घोड़ा

खावत हे, पियत हेरातदिन मारा-मारी जियत हेबिन लगाम दउड़त हेबखत के घोड़ा।रात हर दिन हो जाथेदिन हर रात हो जाथेबिन… Read More

14 years ago

खेती म हावय सब सुख – कहिनी

सीताराम हर एक दिन शहर गीस घूमे बर, शहर के हालचाल जाने बर सीताराम शहर पहुंचगे। बढ़िया-बढ़िया घर-कुरिया, पांच तल्ला… Read More

14 years ago

लड़ते पंचायत चुनाव

भइया बबा दीदी होसुन लेवा मोरो नाव।तुहर मन के किरपा होतीसलड़ते पंचायत चुनावपांच सौ रुपया देहुं तुमन लकाकी भौजी बर… Read More

14 years ago