Sitaram Patel

छत्‍तीसगढ़ी नाटक : संदेसिया

दिरिस्य -1 सू़त्रधारः- बड़खा हवेली आप नाममात्र बर बढ़खा हवेली हावय, जिहॉं रात दिन कमिया कमेलिन मन अउ रेजा कुली… Read More

7 years ago

झगरा फेंकी डबरा

रोजेच के वोइच , हावय कांव कांव जाओं ता छाँड़ के, घर ला काहाँ जाँव सास बोहो के झगरा, दई… Read More

7 years ago

बिधना के लिखना

घिरघिटाय हे बादर, लहुंकत हे अऊ गरजत हे। इसने समे किसन भगवान, जेल मा जन्मत हे।। करा पानी झर झर… Read More

7 years ago

कातिक

पहला सरग:- उमा के जनम भारत के गंगाहू मा, हे हिमालय पहार। जे हे उड़ती बूड़ती, धरती के रखवार।। धरती… Read More

9 years ago

रासेश्वरी

1- बन्दना 1- कदंब तरी नंद के नंदन, धीरे धीरे मुरली बजाय। ठीक समे आके बइठ जाय, घरी घरी तोला… Read More

9 years ago

चुनई दंगा

-1- चुनई आगे, गुर के पाग पागे, बड़का तिहार लागे, गरीबहा के भाग जागे। बोकरा सागे, गांव भर मा पटागे,… Read More

10 years ago

कारी, कुरसी अउ कालाधन संग दस कबिता

1:- कुरसी अउ कालाधन करजा मा बूड़े हावय दिन ब्यभिचारी रात हांसत हावय बलात्कार होवत हावय दिन रात तन मा… Read More

10 years ago

मया के मुकुर

तोर जोबन देख सखी, मुँह मा टपके लार। हिरदे मा हुदहुदी मारे, होवय ऑंखी चार। कैमरा देखत देखत, जोबन छुआय… Read More

11 years ago

कोपभवन

दसरथ:- ओ दिन निकल जाथिस चक्का गिर जाथें मैंहर रथ ले दसरथ हो जाथें सिकार मैंहर बइरी के फेर नी… Read More

11 years ago

मंदझाला

मन के मतवार मन ला सौंपत हों आपन गोठ बच्चन के बानी ला सुन के मैंहर बचपन ले बया गए… Read More

11 years ago