अघवा: मया के सपना पिछवा: घोर कसमकस परदा भीतरी ले मया आगि हवय, कोन्हों बुता नी सकंय। मया धंधा हवय, कोन्हो जान नी सकंय।। मया मिलाप हवय, कोन्हों छॉंड़ नी सकंय। मया अमर हवय, कोन्हों मेटा नी सकंय।। जान चिन्हार नील – नायिका पद्म – नायिका शंख – नायक रतन – शंख का मितान कैंची – नील के गिंया पिंयारी – पद्म के गिंया मानव – नील के ददा मनुप्रताप – पद्म के ददा आरती – पद्म के दाई बंदन – शंख के दाई अउ आखिर मा बॉंधोसिंह – शंख…
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- Sitaram Patel
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