तीजा लेवाय बर आही

एसो आषाढ़ के पहिली तीजा लेवाय बर तोर भाई आही दाई के मया ददा के दया सुरता के सुध लमाही मोटर फटफटी म चघाके तोर लेनहार तोला लेजाही जोर के जोरन कपड़ा लत्ता मोटरा खसखस ले भराही तीजा मानके तुरते आबे घर दुवार सुन्ना पर जाही आरो खबर लेवत रहिबे “माया” तोर सुरता अब्बड़ सताही तोर बिना घर सुन्ना रहि मैंय कईसे दिन ल पहाहुं नयना तरसहि तोला देखे बर हिरदय ल अपन मनाहुं!! सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी

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सोनू नेताम के कविता

स्वतंत्रता दिवस अमर रहे १५अगस्त तिहार आगे तिरंगा झंड़ा ल लहराबो नवा नवा युनीफाम पहिर दउंड़ के हम ईस्कुल जाबो आजादी दिन ल सुरता करके स्वतंत्रता दिबस मनाबो सत्य अहिंसा मार्गदरसक महात्मा गांधी ल सोरियाबो राष्ट्रगीत अउ राष्ट्रगान झँड़ा लहराके गाबो महात्मा सुभास जवाहर भारत माता के जय बोलाबो गीत कविता अउ भाषण मचंस्थ सभा म सुनाबो नन्हे मन्ने हम बीर सिपाही नाटक के नकल देखाबो बिहानिया ले आरा पारा मोहल्ला प्रभात फेरी जुलुस निकालबो झंड़ा उंचा रहय हमारा नारा लगावत जाबो गुरु गुरुजन अउ परमुख सियान एक जगा सब…

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रुद्री के रुद्रेश्वरधाम

धमतरी जिला ले ६किलोमीटर गंगरेल रोड रक्छेल दिसा रोडेच तिर म लगे रुद्री गांव हे रुद्री बस्ती म गांव वाले अउ सरकारी कालोनी म सरकारी करमचारी अधिकारी लोगन मन निवासरत हे गांव अउ कालोनी दुनो मिलाके ईहां के जनसंख्या २०००-२५०० के लगभग हे रुद्री म सरकारी विभाग के कलेक्ट्रेट,एसपी आफिस, जिला पंचायत,जनपद पंचायत,जल संसाधन, पुलिस लाइन,पुलिस थाना,अउ अन्य विभाग के कारयालय ईहे हे महानदी के खड़ म बसे रुद्री गांव जिहां के रुद्रेश्वरघाट अउ रुद्री बांध जलाशय खुबचंद बघेल के नांव बड़ बिख्यात हे जेन इतिहास के पन्ना म उल्लेख…

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सावन के बरखा

झिमिर झिमिर बरसत हे सावन झड़ी के फुहार ओईरछा छानी चुहन लागे रेला बोहागे धारे धार झुमरत हे रुख पाना डारा उबुक चुबुक होगे खेत खार बईला संग बियासी फंदाय लेंजहा चालय बनिहार मघन होके मंजुर नाचय छांए करिया बादर गरर गरर बिजुरी चमके किसनहा जोतय नांगर बेंगवा नरियाय टरर टरर बरखा गीत गावयं कमरा खुमरी मोरा ओड़े खेत नींदे ल जावयं सावन के बरखा बरसत हे बनिहारिन के पैईरी सुनावयं सनन सनन पुरवाई चलय करमा ददरिया गावयं!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव “धमतरी

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दारु के निसा

अगोरा करथे बारह बज्जी के मंदिर कस भीड़ सकलाय रहिथे गांव गांव के दारूभट्ठी म दारु बर लाईन लगाय रहिथे सियान जवान निसा म मोहाय चेपटी पउंव्वा चघाय रहिथे कोट कोट ले पीके दारू मंद मताउंना म पगलाय रहिथे कोनो चिखला अउ कोनो डबरा म टुन्न ले पीके परे रहिथे अपन तन के हियाव नईहे उपराहा अउ धरे रहिथे पीए बर पईसा मांग-मांगके घर दुवार ल गिरवी धरत हे खाय बर चाउंर दाना नईहे धान चाउंर बेचके पीयत हे कतरो मनखे दवा टानिक सरि एकरे भरोसा म जीयत हे नसा…

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आगे हरेली तिहार

आगे हरियर हरेली तिहार उल्हा उल्हा पाना हरियाथे राउत खोचय लीम डारा डेराउठी मुहाटी म खोचाथे राउतईन दाई ह सुग्हर हथना माईकोठी कुरिया म बनाथे सुपा-सुपा सेर चाउंर धान सिधो सिधो ठाकुराइन देवाथे गहुं पिसान के गोल-गोल गाय गरुंवा बर लोंदी सानथे कांदा कुसा अउ जड़ी बूटी बरदिहा मन करले लानथे अंडा पान के लगाके पशुधन गरूंवा ल खवाथे कभु बिमारी झन आवय देवी देवता ल मनाथे नांगर कोप्पर गैती रापा हंसिया बसला सबो धोवाथे रंग-रंगोली तुलसी चउंरा ल चउंर पिसान के पुर पुराथे ओईरसा अंगना के तिरे तिर भांठा…

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मया करबे त करले अउ आन कविता : सोनु नेताम “माया”

अजब गजब के अब्बड़ नखरा तैंय ह झन देखा न वो अंतस भितर म तोर का हे ओला तैय बने बता न वो काबर तैंय मुहुं फुलाथस तोर बिचार ल सुना न वो रहि रहि के भरमात रथस अपन संग मोला रेंगा न वो मया करे बर कुछु सोचत होबे पांव म पांव मिलाके चल न वो दुसर के देखा देखी म आके तैंय छल कपट झन करे कर न वो झगरा लड़ई म काहि नईहे मया पिरित ह टुटथे वो बईरी जईसन मन ह अईसन बेरा म दिखत रहिथे…

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ओनहारी-सियारी

हरुना धान लुवागे संगी अब ओनहारी घलो उतेरबोन कन्हार माटी चिक्कट चिक्कट ओनहारी बर बिजहा खोजबोन लाख लाखड़ी जिल्लो बिजहा ओनहारी सियारी उपजाबोन धान-पान घलो लुवा टोरागे हांक दुन नांगर जोतबोन पाग आय उतेरा के हरिया हरिया बोबोन अरसी मसुर चना बटर कोढ़ियाके कोढ़ा देबोन खातु कचरा दवा दवई बने पेढ़ाय बर छितबोन कियारी बनाके नाली रेंगाके नहर पानी ल पलोबोन!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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पताल के भाव

हाय रें हाईबिरिड पताल तोरो अलगेच अलग भाव बेचावत हे पचास साठ रुपया मंहगाई बढ़गे कांव-कांव अमीरहा गरीबहा मनखे बर सबो बर हे एक भाव गरीब आदमी कईसे नपाहि बिसावत हे एक पाव बड़े आदमी खा खाके निकालत हे अपन पेट अंडा मुरगी मांस बरोबर भोगा गेहे एकर रेट देसी बिदेसी हाई बिरिड मंहगाई म घटगे वेट मंहगाई के मार ल देखेके सबो के चढ़गेहे चेत!! मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम “माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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स्वक्छता अभियान

चल मोर संगी चल मोर साथी चलवं स्वक्छता अभियान चलाबो गांव देहात अउ नगर सहर ल निरमल सुघ्घर गांव बनाबो धरके निकलबो बाहरी खरेरा खोर गली ल बाहरत जाबो ओंटा-कोंटा नाली साफ करत जुरमिलके नवा बिहान लाबो साफ सुथरा रखबो गंवई-गांव ल घुरवा गड्डा खनके पटवाबो जब्बर सुघ्घर मोर गंवई-गांव घर के कचरा बाहिर निकलवाबो कचरा नई करन अलिन गलिन गांव सहर ल सपथ देवाबो किरिया खाबो सुघ्घर राखे के जन जागरुकता गांव सहर फैलाबो!! ✍मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम”माया” रुद्री नवागांव धमतरी [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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