पुतरी के बिहाव – सुधा वर्मा

रमा आज बहुत खुस हावय। आज अकती हे, आज ओखर पुतरी के बिहाव हावय। रमा के संगवारी अनु घलो खुस हावय, काबर के रमा के पुतरी ओखर घर आही। दूनों संगवारी समधिन बनहीं। दू दिन पहिली ले तइयारी चलत हावय। रमा अउ अनु तेल मायन सब करिन। एक अँगना म दूनों झन बिहाव करत रहिन हे। दूनों के परिवार माय भरिन। सब झन खूब हँसी-मजाक करत रहिन हे। हरदाही खेलिन तब तो अइसे लगत रहिस हे के सही के बिहाव होवत हावय। रमा के महतारी ह पुतरा-पुतरी बर सुघ्घर कपड़ा…

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नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल

आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी म लिखे साहित्य आज के छत्तीसगढ़ के परिवेस के दरसन नई करावय। अइसना सबो लेखक नई करत हावंय फेर कुछ मन के इही स्थिति हावय। डॉ. खूबचंद बघेल ये छत्तीसगढ़ के धरती के पहिली नाटककार…

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बाल साहित्य के पीरा

आजकल बाल साहित्य देखे म नई आवय। दूकान बाजार म लइका मन ल बने पुस्तक भेंट देना हे, सोच के कहूं पुस्तक मांगेस तव दूकान वाला सोच म पर जथे। कहिनी पुस्तक तो अब है नहीं। जेन हावय तेन दिल्ली प्रकासन के कुछ लोककथा सरिख पुस्तक मिलथे या फेर पंचतंत्र के कहिनी सरिख बड़े-बड़े जानवर मन के चित्र संग कहिनी चिक्कन पेपर म रहिथे। जेखर कीमत ल आन मनखे दे नई सकय।

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स्वच्छ भारत के मुनादी

स्वच्छ भारत के मुनादी २ अक्टूबर के होईस अउ ‘स्वच्छ भारत’ के सपना ल पूरा करे बर सब सफाई करे म जुटगें। ‘जुटगें’ शब्द ह सही हावय काबर के ये दिन अइसना रहिस हे के प्रधानमंत्री ले लेके एक सामान्य मनखे तक सफाई के काम करिन। ‘भारत रत्न’ सचिन तेंदुलकर, अनिल अम्बानी अउ सोनी सब चैनल के ‘तारक मेहता’ धारावाहिक मन ये अभियान म जुरगें। देश के जम्मो मनखे मन एक दिन सफाई करिन। फेर ‘प्रधानमंत्री’ के ‘स्वच्छ भारत’ के मुनादी होते रहिस अउ ये काम अभी तक चलत हावय।…

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छत्तीसगढ़ी 8वीं अनुसूची म कब? : सुधा वर्मा

8वींअनसूची म कोनो भी भासा ल लाय के मापदण्ड काय हावय, ये ह एक प्रस्न आय। 8वीं अनुसूची म कोनो भी भासा ल जाए बर ओखर पोट्ठ होना जरूरी हावय। राज्य के जनसंख्या या फेर भासा के बोलइया मनखे के संख्या ऊपर निरभर रहिथे। छत्तीसगढ़ ले कमती जनसंख्या अउ छेत्र वाला राज मणिपुर म मणिपुर भासा अउ कोकणी भासा सन् 1992 म 8वीं अनुसूची म आगे। सन् 2003 म बोडो अउ मैथिली 8वीं अनुसूची म आगे जबकि येखर अलग राज नइए। फेर छत्तीसगढ़ी काबर नहीं? 8वीं अनुसूची म आये बर…

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दू पीढ़ी के लिखे अनमोल कृति

मैं ह अपन बहिनी (चचेरी बहन) घर बिहाव म गे रहेंव। ऊहां मोर भेंट होईस पंथराम वर्मा जी ले। कुछु घरेलू बात चलिस। मड़ई म ऊंखर कई ठन कविता छपे रहिस हे, ये बात के खुसी परगट करत रहिन हें। छत्तीसगढ़ी भासा अऊ मड़ई ऊपर गोठबात चलिस। गोठबात के बेरा म पता चलिस एक पुस्तक के बारे म ‘रामचरित्र मानस रामलीला’। ये ह छत्तीसगढ़ी नाटक आय। ये ह पूरा रमायन के नाटय रूप आय।

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नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल

आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी म लिखे साहित्य आज के छत्तीसगढ़ के परिवेस के दरसन नई करावय। अइसना सबो लेखक नई करत हावंय फेर कुछ मन के इही स्थिति हावय। डॉ. खूबचंद बघेल ये छत्तीसगढ़ के धरती के पहिली नाटककार…

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सुधा वर्मा के गोठ बात : नवरात म सक्ति के संचार

नवरात्र के शुरूवात घट इसथापना ले होथे घट म पानी भर के आमा पत्ता ले सजा के ऊपर म अनाज रखे जाथे। प्रकृति ले जुरे तिहार प्रकृति के पूजा करथे। पानी घट म रखना ‘जल ह जीवन आय’ के बोध कराथे। जेन कलस के हम पूजा करथन तेन म जल हावय। आज ये जल के काय हालत होगे हावय सोचे के विसय आय। आमापान, केलापान प्रकृति के हरियाली जेन हमन ल जीवन देथे तेखर पूजा करना। पूजा के संग-संग पूजा स्थान म जगह देना। जीवनदायनी ऑक्सीजन हमला इही पत्तामन ले…

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भासा कइसना होना चाही?

छत्तीसगढ़ी भासा के लेखन ऊपर प्रस्न उठत हावय। कइसे बनिस ओमा कहाँ-कहाँ के कतेक सब्द समाय हावय। येला सब जानत हावयं। आज दूरदर्शन के हिन्दी कइसना हे येला सब सुनत हावयं। बोलचाल के हिन्दी अउ लिखे के हिन्दी अलग-अलग हावय। साहित्यिक हिन्दी अलग हावय। छत्तीसगढ़ी के संग घलो अभी अइसने होवत हावय। ये ह एक संधि काव्य आय। मैं अइसना समझथंव आज हिन्दी म अनेक सब्द अंग्रेजी समागे हावय वइसने छत्तीसगढ़ी म घलो अंग्रेजी हिन्दी के सब्द समागे हावय। येला स्वीकारे बर परही। लेखन म घलो बहुत फरक दिखाई देथे।…

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धरोहर ले निकले अनमोल रतन छत्तीसगढ़ी वियाकरन

छत्तीसगढ़ राज बनिस, तब बाहिर के मन ‘छत्तीसगढ़ी’ बोली आय के भासा एखर ऊपर प्रस्न खड़ा कर दिन। हल्ला होय ले लगगे के ‘वियाकरन कहां हे?’ कुछ सिक्छाविद् अउ साहित्यकार मन ये बात ल सामने लइन के बियाकरन के रचना तो हीरालाल काव्योपाध्याय ह 1885 म करे रहिन हे। ये वियाकरन के अंग्रेजी अनुवाद मि. ग्रियर्सन ह करीस अउ ओखर परकासन एसियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल (खण्ड एलआईएक्स-खण्ड 1 और 2) म घलो होय रहिस हे। ये वियाकरन के परकासन 225 पेज म होय रहिस हे। एखर हिन्दी पाण्डुलिपि गंवागे। ओखर…

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