रमा आज बहुत खुस हावय। आज अकती हे, आज ओखर पुतरी के बिहाव हावय। रमा के संगवारी अनु घलो खुस हावय, काबर के रमा के पुतरी ओखर घर आही। दूनों संगवारी समधिन बनहीं। दू दिन पहिली ले तइयारी चलत हावय। रमा अउ अनु तेल मायन सब करिन। एक अँगना म दूनों झन बिहाव करत रहिन […]
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नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल
आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी […]
बाल साहित्य के पीरा
आजकल बाल साहित्य देखे म नई आवय। दूकान बाजार म लइका मन ल बने पुस्तक भेंट देना हे, सोच के कहूं पुस्तक मांगेस तव दूकान वाला सोच म पर जथे। कहिनी पुस्तक तो अब है नहीं। जेन हावय तेन दिल्ली प्रकासन के कुछ लोककथा सरिख पुस्तक मिलथे या फेर पंचतंत्र के कहिनी सरिख बड़े-बड़े जानवर […]
स्वच्छ भारत के मुनादी
स्वच्छ भारत के मुनादी २ अक्टूबर के होईस अउ ‘स्वच्छ भारत’ के सपना ल पूरा करे बर सब सफाई करे म जुटगें। ‘जुटगें’ शब्द ह सही हावय काबर के ये दिन अइसना रहिस हे के प्रधानमंत्री ले लेके एक सामान्य मनखे तक सफाई के काम करिन। ‘भारत रत्न’ सचिन तेंदुलकर, अनिल अम्बानी अउ सोनी सब […]
8वींअनसूची म कोनो भी भासा ल लाय के मापदण्ड काय हावय, ये ह एक प्रस्न आय। 8वीं अनुसूची म कोनो भी भासा ल जाए बर ओखर पोट्ठ होना जरूरी हावय। राज्य के जनसंख्या या फेर भासा के बोलइया मनखे के संख्या ऊपर निरभर रहिथे। छत्तीसगढ़ ले कमती जनसंख्या अउ छेत्र वाला राज मणिपुर म मणिपुर […]
दू पीढ़ी के लिखे अनमोल कृति
मैं ह अपन बहिनी (चचेरी बहन) घर बिहाव म गे रहेंव। ऊहां मोर भेंट होईस पंथराम वर्मा जी ले। कुछु घरेलू बात चलिस। मड़ई म ऊंखर कई ठन कविता छपे रहिस हे, ये बात के खुसी परगट करत रहिन हें। छत्तीसगढ़ी भासा अऊ मड़ई ऊपर गोठबात चलिस। गोठबात के बेरा म पता चलिस एक पुस्तक […]
नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल
आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी […]
नवरात्र के शुरूवात घट इसथापना ले होथे घट म पानी भर के आमा पत्ता ले सजा के ऊपर म अनाज रखे जाथे। प्रकृति ले जुरे तिहार प्रकृति के पूजा करथे। पानी घट म रखना ‘जल ह जीवन आय’ के बोध कराथे। जेन कलस के हम पूजा करथन तेन म जल हावय। आज ये जल के […]
भासा कइसना होना चाही?
छत्तीसगढ़ी भासा के लेखन ऊपर प्रस्न उठत हावय। कइसे बनिस ओमा कहाँ-कहाँ के कतेक सब्द समाय हावय। येला सब जानत हावयं। आज दूरदर्शन के हिन्दी कइसना हे येला सब सुनत हावयं। बोलचाल के हिन्दी अउ लिखे के हिन्दी अलग-अलग हावय। साहित्यिक हिन्दी अलग हावय। छत्तीसगढ़ी के संग घलो अभी अइसने होवत हावय। ये ह एक […]
छत्तीसगढ़ राज बनिस, तब बाहिर के मन ‘छत्तीसगढ़ी’ बोली आय के भासा एखर ऊपर प्रस्न खड़ा कर दिन। हल्ला होय ले लगगे के ‘वियाकरन कहां हे?’ कुछ सिक्छाविद् अउ साहित्यकार मन ये बात ल सामने लइन के बियाकरन के रचना तो हीरालाल काव्योपाध्याय ह 1885 म करे रहिन हे। ये वियाकरन के अंग्रेजी अनुवाद मि. […]