भिंसरहा के बात आय चिरइ चुरगुन मन चोंहचीव चोंहचीव करे लगे रहिन…अँजोरी ह जउनी हाथ म मोखारी अउ लोटा ल धरे डेरी हाथ म चूँदी ल छुवत खजुवावत पउठे पउठा रेंगत जात हे धसर धसर।जाते जात ठोठक गे खड़ा हो के अंदाजथे त देखथे आघू डहर ले एक हाथ म डोल्ची अउ एक हाँथ म बोहे घघरा ल थाम्हे दू परानी मुहाचाही गोठियावत आवत रहँय…दसे हाथ बाँचे रहिस होही सतवंतिन दीदी के मुँह माथा झक गय,जोहरीन दीदी के का पूछबे मुँह ला मटका मटका के गोठियई राहय कउ घघरा म…
Read MoreTag: Sukhdev Singh Ahileshwar
का जनी कब तक रही पानी सगा
का जनी कब तक रही पानी सगा कब तलक हे साँस जिनगानी सगा आज हाहाकार हे जल बूँद बर ये हरय कल के भविसवाणी सगा बन सकय दू चार रुखराई लगा रोज मिलही छाँव सुखदाई हवा आज का पर्यावरण के माँग हे हव खुदे ज्ञानी गुणी ध्यानी सगा सोखता गड्ढा बना जल सोत कर मेड़ धर परती धरा ला बोंत कर तोर सुख सपना सबे हरिया जही हो जही बंजर धरा धानी सगा तोर से कुछ होय कर कोशिश तहूँ कुछ नही ता नेक कर ले विश तहूँ प्रार्थना सुनही…
Read Moreबीता भर पेट
तुम बइठे हव मजा उड़ावत, गूगल इंटरनेट के। हम किंजरत हन बेवस्था मा, ए बीता भर पेट के। साक्षात्कार बुलाथव जाथे, बेटा हा हर साल के। खाली जेब कहाँ उत्तर दय, साहब तुँहर सवाल के। यू मे गो कहि देथव सँउहे, पाछू मुँह मुरकेट के। हम किंजरत हन बेवस्था मा, ए बीता भर पेट के। रोजगार के अवसर आथे, मरीचिका के भेस मा। बेटा भूखन लाँघन उखरा, शामिल होथे रेस मा। फड्डल नाँव लिखाथे ऊपर,हमर नाँव ला मेट के। हम किंजरत हन बेवस्था मा,ए बीता भर पेट के। समाचार टी.वी.पेपर…
Read Moreआल्हा छंद – नवा बछर के स्वागत करलन
बिते बछर के करन बिदाई,दे के दया मया संदेश। नवा बछर के स्वागत करलन,त्याग अहं इरखा मद द्वेष। आज मनुष्य हाथ ले डारिस,विश्व ज्ञान विज्ञान समेट। नवा बछर मा हमू खुसर जन,खोल उही दुनिया के गेट। हंसी खुशी मा हर दिन बीतय,हर दिन होवय परब तिहार। सदा हमर बानी ले झलकय,सदाचरण उत्तम व्यवहार। अंतस मा झन फोरा पारन,हिरदे मा झन देवन घाँव। मिले बखत हे चार रोज के,रहलन दया मया के छाँव। पूर्वाग्रह के चश्मा हेरन,अंतस मा सम भाव जगान। पूर्वाग्रह के कारण संगी,मानवता हावय परसान। छोड़ अलाली के संगत…
Read Moreमतदान : चौपई छंद (जयकारी छंद)
देश करत हावय अह्वान। बहुत जरूरी हे मतदान। मतदाता बनही हुँशियार। लोक स्वप्न होही साकार। लोकतंत्र के जीव परान। मतदाता मत अउ मतदान। मत दे बर झन छूटँय लोग। कहिथे निर्वाचन आयोग। उम्मर हो गय अठरा साल। मतदाता बन करव कमाल। वोटिंग तिथि के रखलौ ध्यान। खच्चित करना हे मतदान। काज जरूरी हे झन टार। वोट, बूथ मा जा के डार। सीयू बीयू वी वी पेट। बिस्वसनी चौबिस कैरेट। एक बात के राखन ध्यान। शान्ति पूर्ण होवय मतदान। पाँच साल मा आय चुनाव। सुग्घर जनमत दे लहुटाव। सुखदेव सिंह अहिलेश्वर”अँजोर”…
Read Moreमानसून मा : कुकुभ छंद
फिर माटी के सोंधी खुशबू,फिर झिंगुरा के मिठ बानी। मानसून मा रद रद रद रद,बादर बरसाही पानी। छेना लकड़ी चाउँर आटा,चउमासा बर जतनाही। छाता खुमरी टायच पनही,रैन कोट सुरता आही। नवा आसरा धरे किसानन,जाग बिहनहा हरषाहीं। बीज-भात ला जाँच परख के,नाँगर बइला सम्हराहीं। गोठ किसानी के चलही जी,टपराही परवा छानी। मानसून मा रद रद रद रद,बादर बरसाही पानी। मेछर्रा बत्तर कीरा मन,भुलका फूटे घर आहीं। बोटर्रा पिंयर भिंदोल मन,पँड़वा जइसे नरियाहीं। अहरू बिछरू के डर रहही,घर अँगना अउ बारी मा। बूढ़ी दाई टीप खेल ही,लइका के रखवारी मा। मच्छर बढ़ही…
Read Moreसार छंद : पूछत हे जिनगानी
घर के बोरिंग बोर सुखागे, घर मा नइ हे पानी। टंकर कतका दिन सँग दीही, पूछत हे जिनगानी। नदिया तरिया बोरिंग मन तो, कब के हवैं सुखाये। कहूँ कहूँ के बोर चलत हे, हिचक हिचक उथराये। सौ मीटर ले लइन लगे हे, सरलग माढ़े डब्बा। पानी बर झींका तानी हे, करलाई हे रब्बा। चार खेप पानी लानत ले, माथ म आगे पानी। टंकर कतका दिन सँग दीही, पूछत हे जिनगानी। सोंचे नइ हन अतका जल्दी, अइसन दिन आ जाही। सोंच समझ मा होगे गलती, अब करना का चाही। बारिश के…
Read Moreविष्णुपद छंद : हे जग के जननी
जुग जुग ले कवि गावत हावँय,नारी के महिमा। रूप अनूप निहारत दुनिया, नारी के छवि मा। प्यार दुलार दया के नारी,अनुपम रूप धरे। भुँइया मा ममता उपजाये,जम के त्रास हरे। जग के खींचे मर्यादा मा, बन जल धार बहे। मातु-बहिन बेटी पत्नी बन,सुख दुख संग सहे। मीथक ला लोहा मनवाये,नव प्रतिमान गढ़े। पुन्न प्रताप कृपा ला पाके,जीवन मूल्य बढ़े। धरती से आगास तलक ले, गूँजत हे बल हा। तोर धमक ला देख दुबक गे,धन बल अउ कल हा। नारी क्षमता देख धरागे, अँगरी दाँत तरी। जनम जनम के मतलाये मन,होगे…
Read Moreसुरता : जन कवि कोदूराम “दलित”
अलख जगाइन साँच के,जन कवि कोदू राम। जन्म जयंती हे उँकर,शत शत नमन प्रणाम। सन उन्नीस् सौ दस बछर,जड़ काला के बाद। पाँच मार्च के जन्म तिथि,हवय मुअखरा याद। राम भरोसा ए ददा, जाई माँ के नाँव। जन्म भूमि टिकरी हरै,दुरुग जिला के गाँव। पेशा से शिक्षक रहिन,ज्ञान बँटइ के काम। जन्म जयंती हे उँकर,शत शत नमन प्रणाम। राज रहिस अंगरेज के, देश रहिस परतंत्र। का बड़का का आम जन,सब चाहिन गणतंत्र। आजादी तो पा घलिन, दे के जीव परान। शोषित दलित गरीब मन,नइ पाइन सम्मान। जन-मन के आवाज बन,हाथ…
Read Moreसर्वगामी सवैया : पुराना भये रीत
(01) सोंचे बिचारे बिना संगवारी धरे टंगिया दूसरो ला धराये। काटे हरा पेंड़ होले बढ़ाये पुराना भये रीत आजो निभाये। टोरे उही पेंड़ के जीव साँसा ल जे पेंड़ हा तोर संसा चलाये। माते परे मंद पी के तहाँ कोन का हे कहाँ हे कहाँ सोरियाये। (02) रेंगौ चुनौ रीत रद्दा बने जेन रद्दा सबो के बनौका बनावै। सोचौ बिचारौ तभे पाँव धारौ करे आज के काल के रीत आवै। चाहौ त अच्छा हवै एक रद्दा जँचै ता करौ नीव आजे धरावै। कूड़ा उठा रोज होले म डारौ ग होले…
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