दूसर हो जाथे

जे हर पर के प्रान बचाथे तेकर से इस्वर सुख पाथे बुधमता मन सिरतो कहिथे वनिजेच मां लछमी बसथे मनखे-मनखे होथे अंतर कोनो कीरा कोनो कंकर दुनों दिन ले बिनसिन पांड हलुवा मिलिस मिलिस नई माड़ दू कौरा जब जाथे भीतर तभे सूझते देंवा-पीपर मनखे ला जब बिपदा आथे तब अपनो दूसर हो जाथे – सुकलाल प्रसाद पाण्डेय

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सुकलाल प्रसाद पाण्डेय के छत्‍तीसगढ़ी वर्णमाला गीत

वर्णमाला के स्वर अ के अमली खूबिच फरगे। आ के आंखी देखत जरगे। इ इमान ल मांगिस मंगनी। ई ईहू हर लाइस डंगनी। उ उधो ह दौड बलाइस। ऊ ऊघरू ल घला बलाइस। ऋ ऋ के ऋषि हर लागिस टोरे। सब झन लागिन अमली झोरे॥ ए ए हर एक लिहिस तलवार। ऎ ऎ हर लाठी लिंहिस निकार ॥ ओ ओहर ओरन ल ललकारिस। औ औहर बोला कोहा मारिस॥ अं अं के अंग हर टूटगे| अ: अ: ह अअ: कहत पहागे। वर्णमाला के व्‍यंजन क क के कका कमलपुर जाही। ख…

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