तीन कबिता

1 ब्रम्ह मुहूरत में उठ जाबे . धरती माँ ल कर लेबे परनाम . सुमिरन करबे अपना कुल देवता ल , लेबे अपन इष्ट देव के नाम . बिहिनिया बिहिनिया नहाके , तुलसी मैया मा दिया बारबे . एक लोटा जल , अरपन कर . एक परिकरमा लगाबे .. घर म होही, लड्डू गोपाल . विधि पूर्वक वोला पूजन करबे . अंगना दुवार बने बहार के . सुग्घर चौक पुरबे.. लईका लोग के नाश्ता पानी , अपन सुहाग के दाना पानी . बने मया लगाके रान्धबे. सिरतोन के लक्ष्मी तै…

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आवत हे राखी तिहार

आवत हे राखी तिहार सजे हे सुग्घर बाजार, रकम रकम के राखी हर डाहर राखी के बहार. रेशम धागा के दिन पहागे चांदी और सोना के राखी आगे मया के तिहार म घलो देखो बाजारवाद ह कइसे छागे.

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