मोला जब ले ये बात के जानबा होइस के इहां भगवान भोलेनाथ ह माता पार्वती संग सोला साल तक रहिके अपन जेठ बेटा कार्तिकेय ल वापस कैलाश लेगे खातिर डेरा डार के बइठे रिहीसे, तब ले मोर मन म एक गुनान चालू होगे के त फेर आज हमन ल छत्तीसगढ़ के जेन इतिहास देखाए जावत […]
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बरखा के पानी ल भुइयां के गरभ म उतारे खातिर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के गोठ आज-काल बहुत करे जावत हे। ये अच्छा बात आय के लोगन अब दिन के दिन कमतियावत पानी खातिर सोचे-गुने लागे हें, वोकर व्यवस्था खातिर नवा-नवा उदिम करत हें। फेर मोला लागथे के सिरिफ बरखा भर के पानी ल नहीं भलुक […]
कोनो भी भाखा, संस्कृति अउ वो क्षेत्र के अस्मिता के विकास अउ संवर्धन-संरक्षण म उहां के कला अउ साहित्य ले जुड़े मनखे मनके सबले बड़का योगदान होथे। ए मनला भाखा अउ संस्कृति के संवाहक घलो कहे जा सकथे। फेर अइसने मनखे मनके सेती जब कहूं के भाखा अउ संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन ह मुसकुल हो जाय […]
अजब नियाव – गुड़ी के गोठ
ये जुग के सबले बड़े औद्योगिक त्रासदी के नियाव होते हमर पारा के बइठांगुर के मति छरियागे। मोला कथे भाई-एकरे सेती मैं कानून-फानून, नियाव-फियाव कुछू ल नइ मानंव। अइसन पहिली बेर नइ होए हे, जब पद, पइसा अउ पावर के आगू नियाव हार गे हे। तइहा जुग ले अइसन होवत आवत हे, अत्याचारी मन के […]
डबरी झन बनय डबरा – गुड़ी के गोठ
आधुनिकता के चकाचौंध म चौंधियाये हमन जेन गति ले अपन परम्परा, संस्कृति अउ जीवन जीए के ढंग ल बिसरावत जावत हवन, उही गति ले कई किसम के समस्या घलोक हमर मन के आगू म अभरत जावत हवय। चाहे वो विकास के बात होवय ते सुख- समृद्घि के जम्मो म एकर पाछू विनास अउ पीरा के […]
सोरिहा बादर – गुड़ी के गोठ
तइहा के बात आने रिहीसे जब ठउका लगते असाढ़ के बादर उमडय़ अउ कालिदास के बिरहा भोगत यक्ष ह वोला सोरिहा बना के अपन सुवारी तीर पठो देवय। अब वो जुग बदले के संगे-संग बादर के अवई-जवई के बेरा घलो बदले बर धर लिए हे, अइसे म बिरहा भोगत यक्ष कइसे करय, वो अपन सुवारी […]
भाखा के मापदण्ड म राज गठन के प्रक्रिया चालू होए के साथ सन् 1956 ले चालू होय छत्तीसगढ़ी भाखा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल करे के मांग आज तक सिरिफ मांग बनके रहिगे हवय। अउ लगथे के ए हर तब तक सिरिफ मांगेच बने रइही, जब तक राजनीतिक सत्ता म सवार दल वाला […]
आंजत-आंजत कानी होगे!
‘जिहां तक नाक के सोझ म देखे के बात हे त इहां के मनखे तो वइसे घलोक नाक के सोझ म नई देख सकय। काबर ते इहां जम्मो चिक्कन-चांदन सड़क मन म कोन मेर जझरंगा भरका होही, गङ्ढा होही तेकर तो ठिकानच नइ राहय त भला बपरा ह अंधमुंदा या सोझ देखत कइसे रेंग सकथे? […]
अब बड़े-बड़े जलसा अउ सभा समारोह ले देवई संदेश ह अनभरोसी कस होवत जात हे, अउ एकर असल कारन हे अपात्र मनखे मनला वो आयोजन के अतिथि बना के वोकर मन के माध्यम ले संदेश देना। राजनीतिक मंच मन म तो एहर पहिली ले चले आवत हे, फेर अब एला साहित्यिक सांस्कृतिक मंच मन म […]
सांस म जीव लेवा धुंगिया
आज मौसम परिवर्तन के मार झेलत मनखे अचरज खा गे जब बसंत रितु म जाड़ ह अपन डेरा जमाय हावय। बरसात म गर्मी झेलत मनखे मौसम के पीरा ल सहत हावय। मौसम खुदे अचरज म हावय के मोर दिसा कइसे बदल गे हावय। इही सुग्घर साफ पर्यावरन ल करिया करत हमर विकास के रद्दा मलेगइया […]