धान कटोरा रीता होगे

धान कटोरा रीता होगे कहां होही थिरबांह है। छत्तीसगढ़ के पावन भूइया बनगे चारागाह है। बाहिर ले गोल्लर मन के आके, ओइल गइन छत्तीसगढ़ मा। रौंद रौंद के गौंदन कर दिस, भूकरत हे छत्तीसगढ़ मा। खेत उजरगे जमीन बेचागे खुलिस मिल कारख़ाना हे। छत्तीसगढ़ के किस्मत मा दर दर ठोकर खाना हे । हमर खनिज ला चोरा चोरा के डोहारत हे चोरहा मन। जंगल ल सब कांट काटके भरे तिजोरी ढोरहा मन। इंहा के पइसा हा बंट जाथे दिल्ली अउ भोपाल हे। जुर मिलके सब निछत हावै छतीसगढ़ के खाल…

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छत्तीसगढ़ी गीत नंदावत हे

गीतकार, कवि सुशील यदु से खास बातचीत अंचल के जाने माने कवि व गीतकार सुशील यदु ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोकगीत, लोककला को संरक्षित करने शासन स्तर पर कोई खास प्रयास नहीं हो रहे हैं। पंजाब की तर्ज छत्तीसगढ़ के लोकउत्सव में भी सिर्फ छत्तीसगढ़ के लोककला व संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रमुखता से हो। बाहर के कलाकार बुलाकर अपने कलाकारों को हतोत्साहित करना उचित नहीं है। कवि सुशील यदु ने इस आशय के विचार ‘देशबन्धु’ के कला प्रतिनिधि से खास मुलाकात में व्यक्त किए। 0 वाचिक…

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छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009

पाछू 23 फरवरी 2009 महाशिवरात्रि के दिन कवर्धा (कबीरधाम) में प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर अउ जिला छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति कवर्धा डहर ले तेरहवां छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन के आयोजन कन्या उमा शाला में करे गिस। ये सम्मेलन के माई पहुना छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष श्यामलाल चतुर्वेदी रहिन। सम्मेलन के सभापति के रूप मा नगर पालिका कवर्धा के अध्यक्ष संतोष गुप्ता जी पधारे रहिन। ”छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009” के उद्धाटन माई पहुना श्यामलाल चतुर्वेदी जी हा माता सरस्वती के चित्र मा पूजा, अरचना करके करिस। सम्मेलन के मुख्य विषय रहिस…

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