Tejnath

बरखा रानी

बहुत दिन ले नइ आए हस, काबर मॅुह फुलाए हस? ओ बरखा रानी! तोला कइसे मनावौंव? चीला चढ़ावौंव, धन भोलेनाथ… Read More

5 years ago

जल अमरित

पानी के बूँद पाके, हरिया जाथें, फुले, फरे लगथें पेड़ पउधा, अउ बनाथें सरग जस,धरती ल। पानी के बूँद पाके,… Read More

5 years ago

कपड़ा

कतका सुघ्घर दिखथे वोहा अहा! नान-नान कपड़ा मं। पूरा कपड़ा मं, अउ कतका सुघ्घर दिखतीस? अहा!! केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘… Read More

5 years ago

सरकारी इसकूल

लोगन भटकथें सरकारी पद पाए बर, खोजत रहिथें सरकारी योजना/सुविधा के लाभ उठाए बर, फेर परहेज काबर हे, सरकारी इसकूल,… Read More

5 years ago

सक

‘‘मोर सोना मालिक, पैलगी पहुॅचै जी। तुमन ठीक हौ जी? अउ हमर दादू ह? मोला माफ करहौ जी, नइ कहौं… Read More

5 years ago

नान्‍हे कहिनी : आवस्यकता

जब ले सुने रहिस,रामलाल के तन-मन म भुरी बरत रहिस। मार डरौं के मर जांव अइसे लगत रहिस। नामी आदमीं… Read More

5 years ago

नवा साल मं

महिना के का हे संगी हो? आत रइही-जात रइही, जनवरी,फरवरी...। साल के का हे संगी हो? आत रइथे-जात रइथे ये… Read More

5 years ago

डर

सोंचथौं, कईसे होही वो बड़े-बड़े बिल्डिंग-बंगला, वो चमचमावत गाड़ी, वो कड़कड़ावत नोट, जेखर खातिर, हाथ-पैर मारत फिरथें सब दिन-रात, मार… Read More

5 years ago

असाढ़ आगे

चारो मुड़ा हाहाकर मचावत, नाहक गे तपत गरमी, अउ असाढ़ आगे। किसान, मजदूर, बैपारी, नेता,मंतरी,अधिकारी,करमचारी... सबके नजर टिके हे बादर… Read More

6 years ago

अपन

पहिनथन अपन कपड़ा ल, रहिथन अपन घर म, कमाथन खेत ल अपने, खाथन अपन हाथ ले, लीलथन अपने मुंह ले,… Read More

6 years ago