बीच दुआरी म ठाढ़े बजनिया मन के बाजा के सुर लागे राहे। उंखर पोसाक ह देखेच के लाइक राहै। कोन्हों हर हाफ पैंठ पहिरे राहे त कोन्हों ह फुल पैंठ। कोन्हों कुरता त कोन्हों सेंडो। एक झन के पैंठ के पाछू कथरी सूत के टांका ल देख के अइसे लागै जइसे अभीच-अभी मरीज ल ‘आपरेशन थियेटर’ ले निकाले हावे। बिहतरा सीजन म बाजा ले जादा बजनिया के भाव बाढ़े रथे अउ बाजा बिना बिहाव म मजा आय घला नहीं। सबो के सउंख उमियाह रथे बाजा बर। बिहाव म होइस बाजा,…
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