चालीस-पचास बछर पाछू के बात आय। ममा गांव जावंव त पीतर पाख म ममा दाई ह बरा- सोहारी बनाय अउ तरोई के पाना म ओला रख के मोहाटी म मडा देवय। तहान ले जोर-जोर से कहाय- ‘कउंवा आबे हमर मोहाटी, कउंवा आबे हमर मोहाटी।’ ममा दाई के कहत देर नइ लागय अउ कांव-कांव करत अब्बड अकन कठउंवा ह आवय अउ बरा-सोहरी ल चोंच म दबा के उडा जावय। तब ममा दाई काहय – ‘कउंवा मन खाथे, तेला पुरखा मन पाथे।’ नानपन के ए बात ह अब सपना कस लागथे। काबर…
Read MoreTag: Vijay Mishra
कलाकार के सबले बड़े दुसमन गरब हर होथे
सुप्रसिध्द लोकगायिका कविता वासनिक संग गोठ बात गांव के चौपाल ले निकल के हमर छत्तीसगढ़ी गीत संगीत अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा छागे हावय। मोला सुरता हे सन् 1982 में जब मोर गाय गीत ‘पता दे जा रे पता ले जा गाड़ीवाला…’ पहिली बार पॉलीडोर कम्पनी ले रिकार्ड बन के बाजार मा आय रिहिस अउ बीबीसी लंदन के रेडियो में बाजे रहिस त छत्तीसगढ़िया मन के छाती हर बड़े-बड़े सोंहारी कस फूल गे रिहिस। ये गीत हर राइपुर दूरदर्शन केन्द्र के उद्धाटन के बेरा म तको बाजे रहिस।’
Read Moreव्यंग्य : ममा दाई के मुहुं म मोबाइल
रात बेरा के बात आय। रइपुर ले जबलपुर बस म जावत रेहेंव। बारह बजे रहिस होही। बस म बइठे सबो यात्री फोये-फोये नाक बजावत सुतत रहीन। उही बेरा म मोर आघु सीट म बइठे डोकरी दाई के मोबाइल टीरिंग-टीरिंग बाजे लागिस। मोर नींद ह टूट गीस। मे देखेंव डोकरी दाई ह झट ले मुहुं म मोबाइल ल दता के गोठियाय लगीस- ”हां बोल भांची। मेहर ममादाई बोलथो।” ममा दाई अउ भांची के गोठबात हर अबड़ बेर तक चलीस। जेमा एको ठिन जरूरी बात नई रहीस जेला रात के बारह बजे…
Read Moreअभिनय के भूख कभी नइ मिटय : हेमलाल
हास्य अभिनेता हेमलाल अउ विजय मिश्रा के गोठबात ‘भोजन आधा पेट कर दोगुन पानी पीवा, तिगुन श्रम, चौगुन हंसी, वर्ष सवा सौ जीवा।’ हंसना उत्तम स्वास्थ्य अउ लम्बा जीवन खातिर एक अरथ म बहुत बड़े ओखद आय। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाईन मन हर बतावत हावंय। हंसी हर बिना दुख तकलीफ के कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि जउन हँसही तउन फंसही- अइसन गलत विचार ल बदल के जउन हँसही तउन बसही। ल जन-जन म फैलाय खातिर भिड़े दुर्ग म…
Read Moreअभिनय के भूख कभी मिटय नइ: हेमलाल
हास्य अभिनेता हेमलाल अउ विजय मिश्रा के गोठबात ‘भोजन आधा पेट कर दोगुन पानी पीवा, तिगुन श्रम, चौगुन हंसी, वर्ष सवा सौ जीवा।’ हंसना उत्तम स्वास्थ्य अउ लम्बा जीवन खातिर एक अरथ म बहुत बड़े ओखद आय। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाईन मन हर बतावत हावंय। हंसी हर बिना दुख तकलीफ के कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि जउन हँसही तउन फंसही- अइसन गलत विचार ल बदल के जउन हँसही तउन बसही। ल जन-जन म फैलाय खातिर भिड़े दुर्ग म…
Read Moreतबलावादक राकेश साहू संग विजय मिश्रा ‘अमित’ के गोठ बात
कला जगत म नइ चलय कोताही : राकेश साहू सुबह होती है, शाम होती है-जिन्दगी यूं तमाम होती हैं’। ये लाइन हर हाथ म हाथ धरे बैठे ठलहा बइठोइया आम मनखे मन बर सही बइठते। फेर अपन जिनगी म कुछु खास करे खातिर ठान लेवइया मनखे मन ऐला खारिज करत अपन परिवार के भरण-पोषण के संगे संग कला संस्कृति बर घलो समर्पित जीवन जीथे। आम अउ खास मनखे के अइसनेहे अंतर ल अपन तबला वादन के बल म सिध्द करोइया एक लोकवादक कलाकार के नाव आय श्री राकेश साहू। जेखर…
Read More‘छत्तीसगढ़ के कलंक आय लोककला बिगड़इया कलाकार’
अनाप शनाप एलबम के सीडी म रोक लगना चाही: प्रतिमा पंडवानी गायिका प्रतिमा बारले संग विजय मिश्रा ‘अमित’ के गोठ बात छत्तीसगढ़ म लोककथा अउ लोकगाथा के भरमार हांवय। घर परिवार के डोकरी-डोकरा अउ सियान मन लइका मन ल लोककथा ल सुनावत-सुनावत बने-बने गुन के बीजा ल नोनी बाबू मन के दिल दिमाक म बों देथें। फेर लोकगाथा ल लइका-सियान एके संग मिलजुल के रात-रात भर चौपाल म बइठ के सुनथें। लोकथा ल साधारण मनखे घलो सुना सकत हे फेर लोकगाथा ल सुनाय बर बिसेस कलाकारी के गुन होना चाही।…
Read More