कँपकँपाई डारे रे ....ए..... एसो के जाड़ा कँपकाई डारे। करा कस तन ला जमाई डारे। कँपकँपाई डारे रे....ए..... दाँत किनकिनावत… Read More
समझ नई परय काकर गोठ सिरतोन ये काकर ह लबारी, कोनों करते चारी, कोनों बड़ई त कोनों बघारथे सेखी अऊ… Read More
कईसे के बांधव मोर घर के फरिका, जरगे मंहगाई नेता मन करथे बस बईठका I कोनों दांत निपोरथे, कतको झिन… Read More
भव्यता के इतिहास लिए मनखे मनखे ल अँजोर करत जनमानस में अथाह बिसवास के नाव बदना के दाई बोहरही माई… Read More
परिया परगे धनहा भुईयां, दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I काय तिहार अऊ काला जोहर, पेरावत हाबन सालों… Read More
तोर मोर मया के अँजोर संगी, निक लागय महकय अँगना खोर I नाचय पतंगा आरा पारा, चिरैया चहकय डारा डारा… Read More
पहिली मेंहा बता दौ घोड़ा अउ गदहा म का फरक हे, घोड़ा ह बड़ होशियार, सयाना अऊ मालिक के जी… Read More
[responsivevoice_button voice="Hindi Female" buttontext="ये रचना ला सुनव"] सांच ल आंच काय हे जेन मेर गलत दिखते तेला बोले बर पड़ही,… Read More
मोर बोली अऊ भाखा के मय कतका करव बखान, भाखा म मोर तीरथ बरथ हे जान ले ग अनजान। हाय… Read More