आज के समे म कोनो ककरो नई होवय तईसे लागथे,मनखे के गोठ बात बिना सुवारथ के दूसर मनखे नई सुनय I अऊ बात बने सही रईहीं तभो वोकर बात ल कोनों नई गुनय, भाई मन बाटें भाई परोसी होगे हे, एक दूसर बर बईरी का कहिबे एक दूसर ल फूटे आँखी नई सुहावय Iसमे बदल गेहे अऊ मनखे मन बदल गेहे फेर ईतवारी बड़ा के मंझिला लईका मालचु ह नई बदलीच, भागमभाग अऊ बयसायीकरन के पल्ला दौड़ म लोगन मन अंधिरियागे हे फेर ईतवारी के संसकार ह मालचु ल अईसे…
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का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे
का बतावव काला गोठीयावव, अंतस के पीरा ल कईसे बतावव I कोनों ककरो नई सुनय, मनखे के गोठ ल मनखे नई गुनय I का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे ? संसों लागथे मनखे होय के, कोन जनी कोन ह कतका बेर, काकर गोठ मा रिसा जही I अपनेच घर परवार ल आगी लगा डारही, का पुरवाही में अईसने जहर घुरे हे ? अरे परबुधिया परिया भुईयां म, सोना उपजा सकथस I गुनबे त अंतस के अंधियार ल, जुगजुग ले चमका सकथस I फेर का हो जथे ऐके कनिक मा,…
Read Moreघाम तो घाम मनखे होवई ह बियापत हे
ददा ह मोर, चौरा म बईठ के हमर खेती के कमईया गाँवे के भैय्या पुनऊ करा काहत रहय, पुनऊ ऐसो के घाम ह बाबु बड़ जियानत हे ग, कोनो मेर जाय बर सोचे ले पड़थे I त अतका सुन के पुनऊ ह तिलमिला गे, हमन कईसे करत होबो हमू मन तो मनखे यन कका, तुमन घरे म खुसरे रहिथव तभो ले अईसना गोठीयावत हौव, फेर एको अक्षर नई पढ़े राहय पुनऊ ह तभो ले अतेक गियान भरे हे ओकर मती म कि पढ़ईया लिखईया मन फेल हे ओकर आगू म…
Read Moreकईसन राज ये कका
कईसन राज ये कका ये का होवत हे, ठुड़गा ह हासत हे अऊ हरियर मन रोवत हे। माते मतवना पियत हे दारू, सरकार खोलत हे जगा जगा दूकान तको दुलारू। कतको अपटही कतको मरही, फेर अंधरा मन ल नईये संसो ककरो समारू। अभिचे सुने हौव झोला छाप मन ल तको तंगावत हे, नई पढ़े लिखे ये तेकरो करा दवई बटवावत हे। गाँव म जाहू पता चलही,झोला छाप के उपकार ह, पुछहूँ जनता ल तभे तो बताही अंधरा सरकार ल। अपने अपन नियम कानून लादत हे, मरत हे तेला अऊ मारत…
Read Moreमया के होरी
आवव संगी खेलबो सुग्हर होली, एके जगा जुरिया के करबो हँसी ठिठोली। कोनो ल लगाबो लाली कोनो ल पीला, पिरित के रंग होथे गहिर नीला। एसो के होरी म जुड़ा ले संगी, अपनेच हिरदे के पीरा ल। न ककरो घर बिरान रहय, न कोनो लईका अनाथ होवय। मया के होली पिरित के होली, इही हमर पहिचान रहय। मनखे मनखे मिलके गुलाब बनव , कोनो कतको पियय अईसने शराब बनव। ककरो बर पाँव बनन, त ककरो बर छाँव। फेक दे अध्ररा के आगी ल, जेन सुलगा के रखे हे अतेकन नाव।…
Read Moreबेटी की हत्या : संस्मरण
वाह रे निष्ठुर आदमी बेटे की चाहत में दो दो बेटियों को माँ की कोख में ही मार डाला, तीसरी जब बेटी पैदा हुई तो उस अभागिन की माँ चल बसीI पिता ने फिर दूसरी शादी रचा ली, दूसरी बीवी से एक बेटा हुआ,पिता और माँ का पूरा ध्यान उस अभागिन पलक से हट कर बेटे पर हो गया I पलक धीरे धीरे बड़े होने लगी और वो अपनों के बीच में उसे परायेपन का एहसास होने लगा,चार साल की उम्र में उसकी सौतेली माँ ने वहीं पास के सरकारी…
Read Moreचिरई चिरगुन अतका तको नईये, वाह रे मनखे
एसो के देवारी गाँव गे रेहेव, गाँव जाथव त तरिया म नहाय के अलगे मजा रहिथे, अईसे लागथे बुड़ के नहाबे त कभू तरिया में नहाय नई रेहेव। नाहवत नाहवत मोर नजर तरिया पार के बंभरी के रूख म गिस जेमे पड़की चिरई ह खोंदरा बनाय रहाय, खोंदरा म दू ठक पिला ह चोंच ल निकाल के झाकत राहय। माई चिरई मन चोंच म दबा के चारा ल ला लाके खवावत रहाय, घेरी बेरी फुदुक फुदुक के आवय चारा ल खवावय, मेंहा कठ खागेव पिला मन के चारा खवई ल…
Read Moreबेटी ल झन मारव : विजेंद्र वर्मा अनजान
बेटी हमर जान ये अऊ बेटी हमर शान, सीखव ओकर से सीख अऊ करव ओकर मान, बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I किलकारी ल गुंजन दव अऊ भरन दव उड़ान, धरती म अवतरण दव करव तुमन गुमान, बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I बेटी पढ़ावव,बेटी बढावव,अऊ बढावव ओकर गियान, पांव में बेड़ी बांधके मत करव ओकर अपमान बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I सपना मा जईसे ओकर पाख लगे करव अईसन काम, ओला सहेजव,संवारव संगी तभे होही कलियान, बेटी ल काबर…
Read Moreअपन सुवारथ रईही त मोहलो मोहलो
आज के समे मा कोनों ककरो नई होवय ग, कोन हितवा ये कोन बईरी ये काकर सुवारथ कामे हे समझ नई परयI बिना सुवारथ के कोनो मनखे ककरो तीर नई ओधय, अईसने मोला लागथेI अब देख ले गाँव मा पिछलेच सरपंच चुनई के गोठ आय, सरपंच बने बर नंदलाल भाई ह पूछत पूछत घर आवय,भिलई ले गाँव जाव त आगू पीछू होवत रहय, आगू आगू ले गोठीयावय,बने बात बेवहार करय। फेर मेंहा समझ गे रहेव, तभो ले मेंहा वोला बोलेव देख ग नंदलाल भाई चुनई मा हार जीत लगे रहिथे,…
Read Moreअड़हा रईतिस तेने बने ददा
हमन ल सुने म बढ़िया लगथे की फलाना के लईका ह बिदेश में रहिथे अऊ बड़का कंपनी म मेनेजर हाबय, पईसा तको अपन देश ले जादा मिलथे। त अईसने मोर ममा गाँव के एक किसान जेकर नाव हाबय किसुन तेकर लईका परमेश्वर बड़ होशियार, एकलौता रिहिस, किसुन ममा ह ओकर सबो फरमाईस ल पूरा करय। लागा-बोड़ी करके वोला इंजीनियर के पढ़ाई करवईस। इंजीनियर के डिग्री मिलीच तहा ले परमेश्वर ह नऊकरी बर एती-तेती हाथ पाव मारिस। नऊकरी लगय तहा ले कुछ दिन करय फेर छोड़ दय। दाई ददा ह समझावय…
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