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गीत

छत्तीसगढ़ के माटी अंव

मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव, डोरसा अऊ मटासी अंव। मुड़ी मा ऊपजे धान सोनहा, पावन भुईयां काशी अंव।। मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव। डोरसा अऊ मटासी अंव।।

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कविता

देवारी तिहार मनाबों

चलव संगी सुग्घर देवारी तिहार मनाबों, फईले हे मन में अंधियार उहीं ल भगाबों, अऊ दिया हिरदे के देहरी मा जलाबों । तईहा के बात ल छोड़के,आजे कुछु करबों, मया पिरित के गोठ गोठियाके, संगी जहुरियां के हिरदे मा बसबों । पथरा गेहे जेकर आँखी ह, ऊहूँ ल सुग्घर फुलझड़ी धराबों, परब हाबय खुशीके अऊ […]

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गोठ बात

बेटी अंव, तेकरे पीरा ह बड़ जियानथे

अभिच के समे म देखले बेटी अऊ बेटा म लोगन मन फरक नई समझय,फेर तभो ले मोला लड़की आंव कईके मोर मन ह रहि रहि के जियानथे। मेंहा नानपन ले मोर महतारी के दुख अऊ तकलीफ ल देखत आवत हौ, हमर नानकुन परवार में मोर माँ,बाबू,तीन झन बहिनी अऊ चौथईया मा नानुक सबले छोटे भाई,माने […]

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कविता

तीजा के अगोरा

बेटी माई मनके आरूग तिहार ताय तीजा । मईके के मया अऊ दुलार ताय तीजा । पाख लगे हे सपना मा जईसन उड़ान ताय तीजा । संगी जहुरियां सखी सहेली के मिलान ताय तीजा । करू भात अऊ करेला के सुग्हर साग ताय तीजा । फेर निरजला उपास के घलो नाव ताय तीजा । मईके […]

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कविता

झंडा फहराबो

हमर देश होईस अजाद, आजे के दिन, आवव संगी झूमे नाचे बर जाबो। जगा जगा झंडा फहराबो, अऊ आरूग तिहार मनाबो। लईका लोग अऊ सियान, सुन ग मोर मितान, संसकिरती अऊ माटी के, मान ल सुग्घर बढ़ाबो। हमर सियान के सियानी रद्दा म, सोजे सोज जाबो। अतलंगी करैया मनखे ल, मया के भाखा सिखाबो। पुरखा […]

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कहानी

नान्हें बियंग कहिनी: मोला कुकुर बना देबे

पक्का मकान के आघू म एक ठन झोपड़ी म औरत ह अपन लईका ल भुलवार भुलवार के हड़ीया म सीथा ह चिपके रिहिस हे,तेला खवावत रहायI लईका ह नानुक अघाय भूखाय सीथा म पेट ह नई भरत रिहिस,अऊ घेरी बेरी दौड़त दौड़त पक्का मकान ल झांक के आवय Iओकर माई ह काहते रहाय काबर घेरी […]

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कविता

भोरहा में झन रईहूँ

आज के बदतर हालत ल देखके अईसन लागथे की मीठ लबरा मन बोलथे भर,अऊ करे कुछु नहीं I ऐकर बोली अऊ भाखा के जाल में फस के हमर किसान,जवान,मजदूर मन के जिनगी जिवई ह दूभर होगे हे Iओकर सेती पीरा ल एकर जान के सचेत रेहे बर काहत हौ – भोरहा में झन रईहूँ ए […]

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कविता

मर जबे गा संगवारी

एक मजदूर अऊ किसान के व्यथा अऊ ओकर निःस्वार्थ श्रम ल गीत के माध्यम से उकेरे के कोशिश करे हव – विजेंद्र कुमार वर्मा गाड़ा म बैला फाद के कहा, ले जाथस ग ईतवारी, मत जाबे तै संगवारी मर जाबे तै संगवारी पेट ल फोड़ा पार के तेहा, हाथ म धरे कुदारी मत जाबे तै […]

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कविता

मोर भुईयां के भगवान

जाँगर तोड़ कमाये तेहा ग किसान, मरत हाबस तभो ले बनगे हस महान I भुररी असन लेसावत हे तोरो अरमान, टेटकत अऊ सेकावत हे तोरो येदे परान I तभो ले तेहा संगी भुईयां के भगवान I जिनगी म नईये तोरो कोई मुकाम, कईसे रहिथस गाँव में तेहा ग सियान I काकर बर करथस तेहा अतेक […]

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कविता

जोहत हाबन गा अउ झन भुलाबे

जोहत हाबन गा नई चाहिबे तभो ले, ये सरकार के बोझ ल ढोए बर पड़थे I अऊ ओकर गलती के सजा, हमर सेना ल भुगते ले पड़थे I न्याय होही कईके जोहत रहिबे, अऊ अन्याय ह सफल होथे I सबर के बाण टूटथे त, माटी ह मोर लहुलुहान होथे I ये कईसन राज काज हे […]