नान्‍हे कहिनी : दुकालू

जब कभु मोला कहुं जाना होथे त मेहा बुर्जुग दुकालु के रिक्सा मेहि जाथंव। दुकालू से जब कोनो वोकर उमर पूछथे त वोहा इही कहिथे के उमर के बात छोडो बाबू, मेहा तो ए मानथंब जब तक सेहत बने हे, तभे तक जिंदगानी हे। दुकालु ह कभु अपन उमर के रोना नइ रोय। वोकरे सब्द म- ‘न कभु मेहा अपन उमर के रोना रोंव, न मोला रोनहा मनखे मन भांय।’ दुकालु के बात ह कोनो दारसनिक के बात ले कम नई होय। जइसे वोकर ए कहना हे- ‘दिखावा करहूं त…

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