Virendra Saral

लोक कथा : कोपरी के महल

एक राज में एक राजा राज करय। राजा के छै झन रानी रहय फेर एको झन के लइका नइ रहय।… Read More

8 years ago

लोक कथा : जलदेवती मैया के वरदान

एक गाँव में एक साहूकार रहय। साहूकार के सोला साल के सज्ञान बेटी रहय। साहूकार के पूरा परिवार र्धािर्मक रहय।… Read More

8 years ago

कमरछठ कहानी (1) – दुखिया के दुःख

वीरेन्द्र सरल एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन गरीब माइलोगन रहय। जिनगी के आधा उमर सिरावत रहिस फेर… Read More

8 years ago

कमरछठ कहानी (2) – सातो बहिनी के दिन

वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में सात भाई अउ एक बहिनी के कुम्हार परिवार रहय। बहिनी के नाम रहय सातो। एक… Read More

8 years ago

कमरछठ कहानी (3) – मालगुजार के पुण्य

वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक झन मालगुजार रहय। ओहा गाँव के बाहिर एक ठन तरिया खनवाय रहय फेर वह… Read More

8 years ago

कमरछठ कहानी(4) – देरानी -जेठानी

वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक देरानी अउ जेठानी रहय। जेठानी के बिहाव तो बहुत पहिलीच के होगे रहय फेर… Read More

8 years ago

कमरछठ कहानी (6) – सोनबरसा बेटा

वीरेन्द्र सरल एक गांव में एक झन गरीब माइलोगन रहय। भले गरीब रिहिस फेर आल औलाद बर बड़ा धनी रिहिस।… Read More

8 years ago

पुस्तक समीक्षा : माटी की महक और भाषा की मिठास से संयुक्त काब्य सग्रंह- ‘जय हो छत्तीसगढ़’

राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ी भाषा को समुचित मान-सम्मान मिलने लगा है और यहां के निवासियों के मन में से… Read More

10 years ago

व्यंग्य : नवा सड़क के नवा बात

गरमी के दिन में बने नवा चमचमाती सड़क ह बरसात के पहिलीच पानी में हिरोइन के मेक-अप असन धोवागे अउ… Read More

10 years ago

लोक कथा : सुरहीन गैया

एक गांव में एक झन डोकरी रिहिस, ओखर एक झन बेटा रिहस जउन ह निचट लेड़गा अउ कोड़िहा रहय। डोकरी… Read More

10 years ago