कोनो धरौ रापा संगी कोनो धरौ झउहा एक ओरी आमा अऊ दूई ओरी मउहा धरती दाई ला हरियाबो रे चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे झन काटो रूखराई, यहू मां हवै परान ग रूख राई जंगल झाड़ी, हमर पुरखा समान ग आमा अऊ लीम मा, बसे हे भगवान ग पीपर कन्हइया अऊ, बर हनुमान ग गांव पारा गली मां पारौ आरो दऊहा झन कर अलाली भइया कर लेवव लउहा धरती दाई ला सिरजाबो रे चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे। जियत भर रूखराई, मनखे के काम आथे इही…
Read MoreTag: Yashpal Janghel Kisanaha
कहिनी : हिरावन
‘हिरावन बारवीं म मेरिट म पास होईस। फेर नेमसिंग, हिरावन ल आगू नई पढ़इस। सोचिस ‘जादा पढ़े-लिखे ले मनखे अलाल हो जाथे। नउकरी त मिलना नइ हे।’ ईतवारी, हिरावन ल पढ़ाए बर नेमसिंग ल फेर किहिस। फेर नेमसिंग उहू ल नइ घेपिस उल्टा कहि दिस, ‘भंइसा के सिंग ह भंइसाच ल गरू लागथे’ गा। तोर का हे? पइसा त मोल पटाना हे।’ पूस के महीना रिहिस। जाड़ बनेच जनात रिहिस। परसू के किराना दुकान के आगू म लइका मन कागद, पैरा मन ल सकेल के, भुर्री बार के आगी तापत…
Read Moreआगे दिन जाड़ के
डोकरी दाई बइठे बिहना ले, गोरसी ल पोटार के झांपी ले निकार कमरा डेढ़ी, आगे दिन जाड़ के खटिया ले उठई ह, सजा कस लागत हे तरिया के पानी ह, रहि-रहि डरहुवावत हे कथरी अउ ओढ़ना ह, गाब सुहावत हे एक लोटा ल चाहा ल बबा, अकेल्ला ढरकावत हे खटिया म ढलगे नोनी देखत हे, मुहूं ल उघार के झांपी ले निकार कमरा डेढ़ी, आगे दिन जाड़ के गली खोर म जगा-जगा, बरत हे भुर्री बियारा मं जगाए हे, धान के खरही जिहा अंकलहा ह फांदे हे, मुंदरहा ले दंउरी…
Read Moreसतनाम सार हे
झन काहा तोर मोर, मतलभिया संसार हे। भज ले रे सतनाम। इहां सतनाम सार हे॥ झन बिसराव ठीहा ल, जब तक हवे सांस ह। सत के रद्दा म रेंगव, कहि गे हे घासीदास ह॥ जे देखाथे रद्दा सबला ऊंखरे जय जयकार हे। भज ले रे सतनाम… जाना हवय सबो ल इहां ले ओसरी पारी। दाई-ददा, भाई-बहिनी बेटा-बेटी अउ नारी॥ करबे कारखर बर जोरा, जिनगी दिन चार हे। भज ले रे सतनाम… सुनले संगवारी। अब तंय अइसने मिटका झन। मिले हवय मानुस तन, तंय समे ल गंवा झन॥ हिरदे मा राखे…
Read Moreकहिनी : दहेज के विरोध
आज के ये दहेज प्रथा ह सुरसा रक्सिन कस मुंहुं ल उलाके हमर सइघो समाज ल लीलत हवय। ये दहेज रूपी सुरसा ले कोनो नी बांचत हे। फेर रामलाल सरपंच ह बजरंग बली कस दहेज रूपी सुरसा रक्सिन ले बांचे के उदिम करत हे। ‘खुरसी मन ल अभीन ले नी लाए हव रे निच्चट तुंगत हव’- रामलाल सरपंच ह, सामरतन बर तमकगे। सामरतन ह मुड़ी मं बोहे दरी ला भिंया म पटकिस अउ बतइस- ‘अकेल्ला महीं का करंव सरपंच?’ फुसकू घर तो गे रेहेंव दरी ल लाए बर। छट्ठी होय…
Read Moreकहिनी : धुरंधर महाराज
कपड़ा के नांव म कनिहा म नानकुन कपड़ा लटके के रिहिस। चुंदी छरियाय रिहिस। तन बिरबिट करिया। दांत निकले। जाड़ म लुद-लुद-लुद-लुद कांपत रिहिस। बही ह टक लगाके आगी तपइया सबो झन ल देखत रिहिस कांही नइ काहत रिहिस। फेर ओखर आंखी काहत रिहिस- ‘थोर किन महूं ल आगी तापन देतेव गा।’ नाक ल सकेलत धुरंधर महाराज कथे। येला भगाओ इहां ले। बिसेलाल गउंटिया, जगनू बर तमक गे- ‘तुंहरो बुता रे बाबू! निचट आलारैसी ताय। सुकवार के दिन अतका जड़ जग चालू होना हे अउ तुमन तुंगत हव। दूबी मां…
Read Moreकहिनी : चटकन
‘ओ खाली परिया जमीन म न मंदिर बनाए जाय न मस्जिद बनाए जाय। ओमा एक अइसे आसरम बनाए जाए जेमा बेसहारा डोकरा, डोकरी, बइहा कस किंजरइया मनखे, अनाथ लोग लइका राहय। संग म गांव के अइसे मनखे जेखर गुंजाइस के लइक ठउर-ठिकाना नइ हे तउने मन ए आसरम म रहि सकंय। हिन्दू भाई अउ मुसलमान भाई आप मन मंदिर अउ मस्जिद बनवाए बर जउन चंदा सकेले हव तेला आसरम बनवाए बर लगा दव।’ सड़क तीर मा पीपर खाल्हे खाली परिया में जब बनही ते बजरंग बलीच के मंदिर बनही। ए…
Read Moreकहिनी : चटकन
‘ओ खाली परिया जमीन म न मंदिर बनाए जाय न मस्जिद बनाए जाय। ओमा एक अइसे आसरम बनाए जाए जेमा बेसहारा डोकरा, डोकरी, बइहा कस किंजरइया मनखे, अनाथ लोग लइका राहय। संग म गांव के अइसे मनखे जेखर गुंजाइस के लइक ठउर-ठिकाना नइ हे तउने मन ए आसरम म रहि सकंय। हिन्दू भाई अउ मुसलमान भाई आप मन मंदिर अउ मस्जिद बनवाए बर जउन चंदा सकेले हव तेला आसरम बनवाए बर लगा दव।’ सड़क तीर मा पीपर खाल्हे खाली परिया में जब बनही ते बजरंग बलीच के मंदिर बनही। ए…
Read Moreकहिनी : दूध भात
डोकरा काहत रिहिस दूध भात खाहूं कहिके। उही पाय के लोटा ल धर के दूध मांगे बर आए हंव। होही ते दे देतेस? अतका म बिसवन्तीन किहिस- काला बतांव डोकरी। मेहा तो ए रोगही बिलई के मारे मर गेंव। ते नइ पतियाबे, मंझनिया बेरा अंधियारी के बेंस ला लगाए बर भूला गेंव अऊ नाहे बर चल देंव। आवत ले बिलई ह जम्मो कसेली भर दूध ला पी डरिस। नदिया के तीर मां नानकून गांव- ‘जामगांव’। जामगांव के बड़े गंउटिया बेलास ह संझउती बेरा अंगना म बिछे खटिया मां बइठे रिहिस…
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