मूल रचना –
The Last Leaf
लेखक –
ओ हेनरी
अनुवादक – कुबेर
वाशिंगटन स्क्वायर के पश्चिम म एक ठन नानचुक बस्ती हे जेकर गली मन बेढंग तरीका ले, येती ले ओती घूम-घूम के, एक दूसर ल छोटे-छोटे पट्टी म काटत निकले हे, जउन (पट्टी) मन ह ‘प्लेसिज’ (पारा या टोला) कहलाथे। ये जम्मों ‘प्लेसिज’ मन ह अजीब कोण वाले अउ चक्करदार हें। एके ठन गली ह खुद ल दू-तीन घांव ले काटे-काटे हे। एक घांव एक झन कलाकार ह अनमोल कल्पना करके अपन ये गली मन के खोज करे रिहिस हे। कल्पना करव कि एक झन कोनो तकादा वाले व्यापारी ह पेंट, कागज अउ केनवास के बिल धर के ये रस्ता म निकले अउ घूम-फिर के अचानक खुद ल फेर विही जघा म पाय, बिना एको पइसा वसूले।
इही पाय के, अठारवीं सदी म उत्तर दिशा ले कलाकार मन घुमे-फिरे बर, शिकार करे बर; पुरातन तिकोना मकान अउ छत म बने खोली, अउ अटारी, अउ कम किराया के सेती ये पुरातन अउ अनोखा ग्रीनविच बस्ती म लउहा-छँउहा आइन। आइन अउ सबर दिन बर बस गिन। अपन संग वो मन छठवाँ गली ले (सिक्स्थ एवेन्यू ले) मिश्रधातु के मग अउ रांधे के बरतन बिसा के ले आइन अउ ये ‘बस्ती’ ह बस गे।
ईंटा के बने एक ठन नान्हे अउ भद्दा सही तीन मंजिला मकान के ऊपरी मंजिल म स्युई अउ जॉन्सी के स्टूडियो रहय। जॉन्सी ह जोना के नाम ले प्रसिद्ध रिहिस। एक झन ह ‘मेइन’ ले आय रिहिस अउ दूसर ह ‘केलिफोर्निया’ ले। ये दुनों आठवाँ नं. के गली म सस्तहा सरीख (‘डेलमोनिको’ के) एक ठन होटल म मिले रिहिन, दुनों के रूचि कलाकरी म रिहिस, दुनों झन चिकोरी सलाद के शौकीन अउ धरम-करम के मानने वाला रिहिन; एकदम एक जइसे आदत-व्यवहार वाले; अउ दुनों झन सखी बन गें, जेकर परिणाम ये स्टुडियो हरे।
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ये ह मई महीना के बात आवय। नवम्बर महीना म, कड़कड़ँउआ जाड़ा म एक झन ठंडा, अनजान अउ खतरनाक अजनबी जउन ल डॉक्टर मन निमोनिया कहिथें; अपन बरफ जइसे अंगरी म येला-वोला छुवत ये बस्ती म कलेचुप (जिकी फुटे कस) आइस। पूरब के पूरा इलाका म, ये विनाश ह बड़ खतरनाक ढंग ले प्रहार करिस, पूरा ताकत लगा के वार करिस अउ देखते-देखत कतरो येकर शिकार बन गें; फेर ये ‘प्लेसिज’ के संकरी अउ भूलभुलइया वाले, काई लगे, गली म ये सब ह एकदम दबे पांव होइस।
श्रीमान निमोनिया, जइसे कि आप मन सोचत होहू, कोई वीर, भला अउ सभ्य बुजरूग नइ रिहिस। केलिफोर्निया डहर ले आने वाला पछुआ हवा संग अवइया, खूनी मुक्का वाले, दम घोटने वाले ये बदमाश डोकरा द्वारा; नाजुक शरीर वाले एक महिला के ऊपर, ठंड म जेकर खून ह पतला पड़ गे होय, जबरदस्त प्रहार करना कोनों किसम ले उचित खेल नइ केहे जा सके। जॉन्सी ऊपर वो ह जबरदस्त प्रहार करिस, अउ वो ह खटिया धर लिस, वोकर चलना-फिरना मुश्किल हो गे; वो ह अपन लोहा केे पलंग म पड़े-पड़े खिड़की के कांच डहर ले बाहिर खाली जगह म बने एक ठन दूसर ईंटा के मकान ल टुकुर-टुकुर देखत बस रहय।
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एक दिन बिहिनिया, झबरीला, भुरूवा बरौनी वाले व्यस्त डॉक्टर ह स्युई ल हॉल के परछी म बलाइस।
”वोकर पास एक मौका हे – हम कहि सकथन दस पइसा,” वो ह पारा ल खाल्हे उतारे बर थर्मामीटर ल झटकारत किहिस, ”अउ यहू मौका तब, जब वोकर अंदर जीये के इच्छा होही। आदमी ह जीये के उम्मीद ल अइसन यदि छोड़ देही तब तो दुनिया के सब दवाई ह बेकर हे। तोर नाजुक सहेली ह तो अपन दिमाग म ये बात ल बिठा लेय हे कि वो ह अब कभू ठीक नइ हो सके। वोकर दिमाग म कोनों बात (बोझ) हे क?”
”वो ह – वो ह कोनों दिन नेपल्स के खाड़ी के चित्र बनाना चाहत रिहिस।” स्युई ह किहिस।
”चित्र – बकवास! वो ह अपन दिमाग म का कोनों दूसर अच्छा बोझा सरीख विचार, जइसे कि कोनों जवान छोकरा (अच्छा आदमी) के बारे म तो नइ रखे हे?”
”कोनों जवान छोकरा ?” यहूदी मन के बाजा (तुरही) के तेज अवाज कस जोर से स्युई ह किहिस ”कोनों जवान छोकरा के बारे म? नइ डॉक्टर, वोकर दिमाग म अइसन कोनों बात नइ हे।”
”अच्छा, तब ये कमजोरी हे।” डॉक्टर हा किहिस – ”मंय ह वो सब करहूँ जतका विज्ञान म हे, अब तक मोला जतका ज्ञान हे, सब प्रयास करहूँ, सब कर सकथंव। फेर जब मोर मरीज ह अपने मंयत के गाड़ी मन ल खुदे गिने बर लग जाथे तब दवाई के ताकत ल मंय ह सिरिफ पचास पइसा मान लेथंव। यदि तंय कोनों तरीका ले वोकर अंदर जीये के इच्छा जगा देबे, अगले ठंड के मोैसम म आने वाला नवा फैसन के बारे म वोकर मन म सोच, इच्छा जगा देबे, तब मंय ह दावा के साथ कहि सकथंव कि वोकर बने होय के आस ह दस पइसा ले बीस पइसा हो सकथे।
डॉक्टर के जाय के बाद स्युई ह अपन कार्यशाला म गिस अउ अतका रोइस कि आँसू पोंछई म जापानी तौलिया ह निचोय के लाइक हो गे। तब वो ह अपन ड्राईंग बोर्ड ल धर के सीटी बजात, मजाक करत अउ इतरावत जॉन्सी के खोली म गिस। जॉन्सी ह खिड़की कोती मुँहू करके, चुपचाप अपन लोहा के पलंग म पड़े रिहिस। स्युई ह सीटी बजाना बंद कर दिस, ये सोच के कि जॉन्सी ह सुते हे।
वो ह अपन बोर्ड ल ठीक-ठाक करके, पेन अउ स्याही से एक ठन पत्रिका के कहानी बर चित्र बनाय के शुरू कर दिस। युवा कलाकार मन अपन कला के आधार पत्रिका के कहानी बर चित्र बना के तियार करथें जइसे कि युवा लेखक मन कोनो पत्रिका बर साहित्य लिख के करथें।
स्युई ह जब इडाहो गड़रिया समान हीरो के घुड़सवारी वाले एक जोड़ी शानदार पाजामा अउ एक कांच वाले चश्मा के चित्र बनावत रिहिस, वो ह मरझुरहा आवाज सुनिस, कई घांव ले, घेरी-बेरी दुहरावत। वो ह दंउड़ के वोकर बगल म गिस।
जॉन्सी के आँखीं मन एकदम खुला रिहिस। वो ह खिड़की के बाहिर टकटकी लगाय देखत रिहिस अउ उल्टा गिनती गिनत रिहिस।
”बारह,” वो किहिस, अउ थोरिक देर बाद, ”ग्यारह,” फेर ”दस” अउ ”नौ” अउ ”आठ” अउ ”सात”।
स्युई ह उत्सुकता म खिड़की के बाहिर देखिस। गिनती करे बर उहाँ का चीज होही? बाहिर खुल्ला अउ सुनसान आंगन देखे जा सकत रिहिस, अउ बीस फीट दुरिहा ईंट के बने मकान के खाली हिस्सा दिखिस। एक ठन जुन्ना, जुन्ना अंगूर के नार, ठंड म मुरझुराय, जेकर जड़ ह सरत रहय, ईंटा के दिवाल म आधा दुरिहा ले चघे रहय। पतझड़ के ठंडी हवा मन जेकर पत्ता मन ल नष्ट कर देय रिहिस अउ अब खाली डारा मन के ढांचा भर ह बचे रिहिस, एकदम नंगी, जउन ह टुटहा-फुटहा ईंटा के दिवाल म चिपके रिहिस।
”मयारूक, ये का ए?” स्युई ह पूछिस
”छै” मुश्किल से फुसफुसा के जान्सी ह किहिस। ”ये मन बड़ा जल्दी-जल्दी झरत हें। तीन दिन पहिली पूरा सौ रिहिस। वोला गिनत-गिनत मोर मुड़-पीरा हो गे रिहिस। फेर अब सरल हे। वो देख, एक ठन अउ चल दिस, अब खाली पाँच बचिस।”
”मयारूक, पाँच का? अपन स्युडी ल तो बता।”
”पत्ता, वो सरहा अंगूर नार के। जब वोकर आखिरी पत्ता ह घला गिर जाही, महूँ ह रेंग देहूँ। तीन दिन ले मंय ह ये जानत हंव। डॉक्टर ह तोला नइ बताइस?”
”ओहो! अतका बेवकूफी के बात मंय ह कभू नइ सुने रेहेंव। स्युई ह शिकायत करिस – ”तोर बने होय ले वो सरहा अंगूर के पत्ता मन के का लेना-देना? नटखट लड़की, अउ तंय वो अंगूर के नार ल बहुत चाहत रेहेस। काबर, आज बिहिनया डॉक्टर ह किहिस हे कि तोर जल्दी ठीक होय के चांस हे; एकदम सही-सही वो केहे हे, वो ह केहे कि तोर ठीक होय के चांस वोतका हे कि जतका न्युयार्क शहर के गली म कार चलावत या कि कोनों नवा बनत मकान के तीर ले रेंगत नहके म हे। चल, गोस्त के सुरवा पी अउ अपन स्युडी ल चित्र पूरा करे म मदद कर ताकि वो ह वोला संपादक तीर बेच के अपन बीमार बच्ची बर पोर्ट शराब अउ अपन बर पोर्क चोप्स (भोजन सामग्री) खरीद सके।
”तोला अब अउ शराब खरीदे के जरूरत नइ हे।” खिड़की के बाहिर टकटकी लगाय जॉन्सी ह किहिस।
”एक ठन ह अउ चल दिस। नहीं, मोला सुरवा नइ चाही। अब खाली चार बचे हे। मुंधियार होय के पहिली मंय ह आखरी पत्ता ल झरत देखना चाहत हंव। तब महूँ ह चल दुहूँ।”
”मोर मयारूक, जॉन्सी,” जॉन्सी ऊपर निहर के स्यूई ह किहिस – ”जब तक मोर काम ह पूर नइ हो जाय तब तक का तंय मोला अपन आँखीं मन ल बंद रखे के अउ खिड़की के बाहिर नइ देखे के वादा कर सकथस? कल तक येला देना हे। मोला अंजोर के जरूरत हे, मोला अंधियार होय के पहिली पूरा कर लेना चाहिये।”
”मंय ह इहिच कर रहूँ तोर तीर,” स्युई ह किहिस – ”तोर बाजू म, मंय बिलकुल नइ चाहंव कि तंय ह वो अंगूर के सरहा पत्ता मन ल टकटकी लगा के देखस।”
”मोला बता देबे, जइसने तोर काम पूरा होही,” जॉन्सी ह किहिस, अपन आँखी मन ल मूंदत अउ सफेद मुर्ती कस ढंलगत – ”काबर कि मंय ह आखिरी पत्ता ल गिरत देखना चाहत हंव। वोकर अगोरा करत मंय ह थक गे हंव। वोकर बारे म सोच-सोच के मंय ह थक गे हंव। मंय घला वो बिचारी आखिरी थके पत्ता कस दुनिया के सब चीज ल त्याग देना चाहत हंव, दुनिया ले जाय बर।”
”सुते के कोशिश कर।” स्युई ह किहिस – ”बुजुर्ग बेसहारा खान मजदूर के अपन चित्र बनाय बर मंय ह बेहरमैन डोकरा ल माडल बनाय बर ऊपर बुला के लावत हंव। एक मिनट म, मंय ह कहूँ नइ जावंव। मोर आवत ले हालबे-डोलबे झन।”
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बेहरमैन डोकरा ह पेंटर रिहिस जउन ह तल वाले मंजिल म इंकरे खाल्हे रहय। वो ह साठ पार कर चुके रिहिस अउ माइकल एंजिलो1 के, पैगंबर मूसा2 वाले घुंघरालू दाढ़ी कस दाढ़ी रखय, जउन ह युनानी देवता सेटर3 के मुड़ी ले निकले हे तइसे दिखे, शरीर ले बिलकुल श्ौतान लगे। बेहरमैन ह कलाकारी म फेल रिहिस। चालीस बछर ले वो ह ये काम ल करत हे फेर कुछू नइ कर पाइस। वो ह सदा अपन सर्वश्रेष्ठ कलाकृति (मास्टरपीस) के बारे म कहत फिरत रहय फेर ये काम के शुरुआत घला वो ह नइ कर सके रिहिस। बहुत साल हो गे, वो ह कभू-कभार विज्ञापन वाले मन बर अलवा-जलवा कुछ बनाय के सिवा अउ कुछू नइ कर पाय हे। बस्ती म रहने वाला दूसर कलाकार मन बर, जउन मन पेश्ोवर माडल के कीमत नइ दे सकंय, वो ह माडल के काम जादा करय, फेर येकर ले वोला जादा कुछ आमदनी नइ होवय। वो ह मरत ले जिन (दारू) पियेे अउ पी के अपन आने वाला सर्वश्रेष्ठ कलाकृति के बारे म गोठियात रहय। कुल मिला के वो ह भयानक डोकरा रिहिस जउन ह आसानी ले कोनो के घला मजाक उड़त रहतिस, अउ खुद ल ऊपर स्टूडियो म रहने वाला नया कलाकार मन के संरक्षक कुकुर मानय।
स्युई ल बेहरमैन ह खाल्हे अपन नानुक दड़बा सही खोली म, मरझुरहा अंजोर म जुनिपर4 के फर ल सुंघत मिल गे। एक कोन्टा म इजल म लगे कोरा केनवास रहय जउन ल पचीस बछर पहिली वोकर सर्वश्रेष्ठ कृति बर लगाय गे रिहिस अउ अब तक वोमा एक ठन लकीर घला नइ परे रहय। वो ह वोला जॉन्सी के कल्पना के (बीमारी अउ वोकर विचित्र कल्पना के) बारे म बताइस, अउ कि कइसे वास्तव म वो ह डर गे हे; कमजोर अउ नाजुक पत्ती के समान वो घला खुद अब ये नाशवान दुनिया ले जानेच् वाला हे।
बेहरमैन डोकरा ह जोरदार चिल्ला के अउ अपन लाल-लाल आँखीं मन ल छटका के जॉन्सी के मूर्खतापूर्ण कल्पना के निंदा करिस अउ वोकर मजाक उड़ाइस।
”मूर्खता,” वो ह चिल्लाइस – ”ये दुनिया म का अतका मूरख आदमी हे कि मरना ल पाना के झरे ले जोड़ के देखथें अउ बकझक करत रहिथें? नहीं मंय ह तोर अइसन मूरख सहेली बर माडल के पोज नइ दंव। तंय ह वोला अइसन अनाप-शनाप सोचे के मौकच् काबर देथस। आह! नहीं, बेचारी नाजुक कुमारी जॉन्सी।”
”वो ह बहुत बीमार अउ कमजोर हे,” स्युई ह किहिस – ”बुखार ह वोकर दिमाग ल घला बीमार कर देय हे अउ अनाप-शनाप कल्पना ले भर देय हे। बहुत बढ़िया मिस्टर बेहरमैन, तंय ह मोर बर पोज नइ देवस, कोई बात नहीं। फेर मंय ह सोचथंव, तंय ह बेहद डरावना डोकरा हस, श्ौतान के पिला।”
”आखिर तंय ह औरतेच् अस, कोन किहिस कि मंय ह पोज नइ देवंव? तंय ह चल, मंय अभीचे आवत हंव। आधा-एक घंटा बर मंय ह चुप रहे के कोशिश करहूँ। मंय ह पोज देय बर तियार हंव। मंय ह केहे रेहेंव कि मिस जॉन्सी ह बीमार पड़े हे, पोज देय बर ये जगह ह ठीक नइ है। जान्सी के मरे बर घला ये जगह ह ठीक नइ है। देखबे, एक न एक दिन महू ह अपन सर्वोत्तम कलाकृति बनाहू अउ हम सब इहां ले दुरिहा चल देबोन, हाँ।”
जब वो मन ऊपर गिन, जॉन्सी ह सुते रिहिस। स्युई ह खिड़की के ऊपर परदा डाल दिस अउ चुपचाप बेहरमन ल दूसर खोली म ले गे। उहाँ वोमन खिड़की के बाहिर डरडरान अकन अंगूर के वो सरहा नार ल देखिन। तब वो मन छिन भर बर बिना कुछू केहे एक-दूसर ल देखिन। कड़कड़ँउआ ठंड म लगातार पाला के संग पानी के गिरना जारी रहय। बेहरमैन ह नीला रंग के अपन जुन्ना कमीज ल उतारिस, बिलकुल बेसहारा खान मजदूर कस भेष बनाइस अउ उल्टा केतली जइसन एक ठन पथरा म जा के बइठ गे।
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दूसर दिन बिहिनिया जब स्युई ह एक घंटा देरी ले सुत के उठिस, वो ह देखिस कि जॉन्सी ह उदास अउ अचरज भाव ले टकटकी लगा के खिड़की के हरियर परदा ल देखत रहय।
वो ह फुसफुसा के आदेस दिस – ”येला हटा, मंय देखना चाहत हंव।”
सुस्त स्युई ह वोकर आदेश के पालन करिस।
पर, अरे! रात भर के जानलेवा पाला-बरसात अउ हवा के भयानक झोंका-बडोरा ल सहि के ये सरहा अंगूर के नार ह एक ठन पत्ता संग ईंटा के दिवाल म चिपकेच् हे। इही ह तो अंगूर के आखिरी पत्ता हरे। अभी घला एकदम हरियर, अपन डारा म लगे, फेर येकर आरी के दांता समान किनारा मन पिंवरा के गले अउ सरे कस हो गे हे, अउ जमीन ले बीस फुट ऊपर दिवाल म चिपकेच् हे।
”इही हरे आखिरी पत्ता।” जॉन्सी ह किहिस – ”मंय ह तो सोचत रेहेंव आज रात ये ह निश्चित झर जाही। रात भर के भयानक बरसत अउ हवा के आवाज ल मंय सुने हंव। आज ये ह जरूर झर जाही अउ विही समय महूँ ह मर जाहूँ।”
”प्रिय, प्रिय!” अपन थकेमांदे चेहरा ल तकिया कोती निहरात स्युई ह किहिस – ” अगर तंय ह अपन बारे म नइ सोचस ते मोर बारे म सोच। मंय का करंव?”
पर जॉन्सी ह कोनों जवाब नइ दिस। पूरा सृष्टि म अकेला चीज सिरिफ आत्मा हे, अउ जब ये ह अपन रहस्यमय यात्रा के तइयारी कर लेथे, दुरिहा जाय के, जब दोस्ती-यारी, माया-मोह अउ दुनियादारी के सब बंधन ह ढीला पड़ जाथे, तब दिमाग म तरह-तरह के कल्पना आवत जाथे, जॉन्सी के संग वइसने होवत हे।
वो दिन ह अइसने उदासी म बीत गे। यहाँ तक कि सांझ के अंधियारी म घला वो आखिरी पत्ता ल सरहा अंगूर के नार म दिवाल संग चिपके हुए देखे जा सकत रिहिस। अउ रात म उत्तर दिशा ले आने वाला भयानक ठंडी हवा के चलना फेर शुरू हो गे। अउ जानलेवा बरसात के बौछार ह रात भर खिड़की अउ ओरछा ल ठोकत-बजावत रिहिस।
जब फेर बिहिनिया होइस, अच्छा उजास बगरिस, बिचारी जॉन्सी ह आदेश दिस कि खिड़की के परादा ल उठा दिया जाय।
अंगूर के वो आखिरी पत्ता ह अभी घला अपन जघा म जइसने के तइसनेच् दिखिस।
वोला टकटकी लगा के देखत जॉन्सी ह बड़ देर ले ढलंगेच् रिहिस। अउ तब वो ह स्युई ल पुकारिस जउन ह स्टोव ऊपर चढ़े मुर्गी के सुरवा ल खोवत रिहिस।
”मंय ह एकदम खराब लड़की हंव, स्यूडी,” जॉन्सी ह किहिस – ”कोई बात तो हे, वो आखिरी पत्ती ह इही बताय बर अब तक नइ झरे हे कि मंय ह कतका पापिन हंव। मरे के इच्छा करना पाप आय। तंय ह अब मोर बर थोकुन सुरवा लान, अउ थोकुन दूध, अउ थोकुन शराब लान; अउ नहीं, पहिली तंय ह वो हाथ वाले छोटे दरपन ल लान; अउ तब मोर बर कुछ तकिया लगा दे, मंय ह वोमा बइठ के तोला खाना पकावत देखहूँ।”
एक घंटा पीछू वो ह किहिस – ”स्युडी! मोला उम्मीद हे कि कोई दिन मंय ह नेपल्स के खाड़ी के पेंटिग जरूर बनाहूँ।”
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मंझनिया कुन डॉक्टर ह आइस। जइसे वो ह गिस, स्युई ल हॉल के परछी म जाय के बहाना मिल गे।
”बिलकुल आस हे,” स्युई के काँपत हाथ ल अपन हाथ म ले के डॉक्टर ह किहिस – ”अच्छा सेवा-जतन करके तंय ह जीत गेस। अब मोला दूसर मरीज ल देखे बर जाना चाही। खाल्हे म एक झन हे, वोकर नाम हे बेहरमैन, एक प्रकार के कलाकार आवय। मोला शंका हे कि वहू ल निमोनियच् होय हे। वो एक कमजोर अउ बुढ़ुवा आदमी हरे, अउ बड़ खतरनाक अटेक होय हे। वोकर बचे के कोई उम्मीद नइ हे, फेर अच्छा इलाज खातिर आज वोला मंय ह अस्पताल म भर्ती करवा देहंव।”
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दूसर दिन डॉक्टर ह स्युई ल किहिस – ”अब ये ह खतरा ले बाहिर हे। तंय जीत गेस। अब येला अच्छा खुराक अउ देख-भाल के जरूरत हे। बाकी सब अच्छा हे।”
विही दिन मंझनिया स्युई ह आराम से एकदम नीला रंग के ऊन क,े कंघा म रखे के साफा बुनत, अउ वोला अपन हाथ के चारोंं मुड़ा लपेटत जॉन्सी के बिस्तर तीर आइस, जिहाँ वो ह ढलंगे रिहिस, तकिया लगा के बइठिस।
”प्यारी चुहिया, मंय ह तोर से कुछ कहना चाहत हंव। वो ह किहिस – ”अस्पताल म आज बेहरमैन ह निमोनिया से मर गे। वो ह केवल दू दिन बीमार रिहिस। पहिली दिन बिहिनिया चौकीदार ह वोला वोकर खोली म दरद के मारे छटपटात अउ असहाय अवस्था म पाय रिहिस। वोकर जूता अउ वोकर कपड़ा ह बरफ के पानी म एकदम भींग गे रिहिस हे। वो ह (चौकीदार ह) कल्पना घला नइ कर सकिस कि अतका भयानक रात म वो ह कहाँ गेय रिहिस होही। अउ तब वोला उहाँ एक ठन कंडिल मिलिस जउन ह तब तक बरतेच् रिहिस, अउ एक ठन निसैनी मिलिस जउन ह अपन जघा ले थोरिक सरक गे रिहिस, अउ येती-वोती बगरे कुछ ब्रश मिलिस, अउ हरियर अउ पींयर रंग मिंझरे, रंग के एक ठन प्लेट मिलिस।……अउ प्यारी, देख खिड़की के बाहिर, दीवाल म अंगूर के वो आखिरी पत्ती ल। जब हवा चलथे, न तो वो ह हालय, न फड़फड़ाय, तब तोला अचरज नइ होवय? ओह! प्रिय, इही ह तो बेहरमन के सर्वोत्कृष्ठ कलाकृति हरे, जउन ल वो ह विही रात म बनाइस, जउन रात वो आखिरी पत्ती ह गिरिस।”
1. – माइकल एंजिलो ः इटली के एक महान चित्रकार।
2. – मोजेज ः यहुदी मन के पैगंबर।
3 – सेटर ः युनान के वन देवता जेकर आधा शरीर ह आदमी के अउ आधा ह बोकरा के माने जाथे।
4 – जुनिपर बेरी ः रसभरी, गुच्छादार फर जउन ह झाड़ीनुमा पेड़ म फरथे, दवाई के काम आथे अउ सुगंघ बर जिन (दारू) म घला मिलाय जाथे। (अनुवादक)
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भोड़िया, राजनांदगांव
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