तिल लाड़ू खाबोन – मकर संक्रांति मनाबोन

मकर संकराति हिन्दू धरम के एक परमुख तिहार हरे। ए परब ल पूरा भारत भर में एक साथ मनाये जाथे। पूस मास में सुरुज देव ह धनु राशि ल छोड़ के मकर राशि में परवेस करथे इही ल मकर संकराति के नाम से जाने जाथे। मकर संकराति के दिन से ही सूर्य के उत्तरायन गति ह शुरू हो जाथे। ए दिन से रात छोटे अऊ दिन ह बड़े होना शुरु हो जाथे। दिन बड़े होय से परकास (अंजोर) जादा अऊ रात छोटे होय से अंधियार कम होथे। इही ल कहे गेहे – अंधियारी से अंजोरी के डहर जाना। अंजोर जादा होय से सब जीव जंतु में चेतनता अऊ काम करे के ताकत ह बढ़ जाथे। अइसे माने गेहे। भारतीय पंचांग में सब तिथि ह चंद्रमा के गति ल अधार मान के बनाये जाथे फेर मकर संकराति ल सूर्य के गति से निरधारित करे जाथे। एकरे सेती ये परब ह हर साल 14 या 15 जनवरी के होथे।

पौरानिक कथा – मकर संकराति मनाय के कई ठन पौरानिक कथा काहनी भी जुड़े हे। कहे जाथे के ए दिन भगवान सुरुज देव ह अपन बेटा शनि देव से मिले बर ओकर घर जाथे। शनि देव ह मकर राशि के स्वामी हरे। एकरे पाय ए दिन ल मकर संकराति कहे जाथे। मकर संकराति के दिन गंगा जी ह भागीरथ के पाछु पाछु कपिल मुनि के आसरम डहर ले जाके सागर में समाहित होय रिहिसे। महाभारत काल में भीष्म पितामह ह घलो इही दिन अपन परान ल तियागे रिहिसे।



दान पून अऊ असनान – मकर संकराति के दिन बड़े बड़े तीरथ धाम अऊ नदियाँ मन में मेला भराथे। ए दिन सब झन बडे बिहनिया ले नदियां में नहाथे। सुरुज देव ल जल चढहाथे, मंदिर देवालय में भगवान के दरसन करथे अऊ दान पुन करथे। आज के दिन उड़द, चांऊर, तिल, गाय, सोना, कपड़ा, गुड़ अऊ कंबल दान करे के अलग महत्व हे। आज के दिन दान करे से ओकर दस गुना जादा फायदा होथे अइसे बताय जाथे। आज के दिन गंगा सागर में बहुत बड़े मेला लगथे। गंगा सागर में नहाये से पूरा पाप कट जथे अऊ मोकछ के प्राप्ति होथे। एकरे पाय लाखों आदमी कस्ट उठाके गंगा सागर में जाके असनान अऊ दान करथे। आज के दिन इंहा अपार भीड़ रहिथे। एकरे पाय कहे जाथे – “सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार”।

अलग अलग नाम – ए तिहार ल सब परदेस में अलग अलग नाम से मनाय जाथे। जइसे- हरियाणा अऊ पंजाब में लोहड़ी के रुप में मनाय जाथे। ए दिन उंहा खूब नाच गाना के साथ उतसव मनाथे। वइसने तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, बिहार में खिचड़ी संकराति अइसे अलग अलग नाम से ए तिहार ल मनाय जाथे।

आजकाल के नावा तरीका– मकर संकराति के तिहार ल तो देश भर में अपन अपन ढंग से मनाय जाथे फेर आजकाल मोबाइल के जमाना में सब आदमी ह फेसबुक अऊ वाटसप में बधाई संदेश दे के शुरू होगे हे। ए संदेश ह दू चार दिन पहिली ले शुरू हो जथे अऊ एक दूसर ल बधाई देथे। कतको झन ह बढ़िया बढ़िया कारड भेजके भी ए तिहार के परंपरा अऊ महत्व ल बढावत हे ।

महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छ. ग)
पिन- 491559
मो.- 8602407353
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