मकर संकरान्ति ला छत्तीसगढ़ मा तिल सकरायत तिहार के नाँव ले जाने अउ मनाय जाथे। अइसने एला तमिलनाडु मा पोंगल,आंध्रप्रदेश कर्नाटक मा संकरान्ति, पंजाब मा लोहिङ़ी अउ उत्तरप्रदेश मा खिचङ़ी परब के रुप मा मनाथे। सुरुज नरायन के मकर राशि मा जवई हा मकर संकरान्ति कहाथे। ए दिन सुरुज देव हा उत्तरायन हो जाथे। बेद-पुरान के हिसाब मा उत्तरायन ला देबी-देवतामन के दिन अउ दक्छिनायन ला रतिहा कहे जाथे। ए दिन हा इस्नान, दान, जप, तप अउ साधना-अनुस्ठान के अब्बङ़ भारी महत्तम होथे। तिल सकरायत के दिन सुरुज के एक राशि ले दुसर राशि मा होय परिवरतन ला अंधियार ले अंजोर के परिवरतन कहे जाथे। इही दिन ले दिन हा बाढ़थे अउ रतिहा के बेरा हा कमतियाथे।
तिल सकरायत के दिन तिरवेनी संगम परयाग मा जम्मो देबी-देवता मन अपन रुप-भेस ला बदल के इस्नान बर आथें। अइसन मानियता हे। इही दिन गंगा मइया हा भागीरथ के तयसिया ले प्रसन्न होके भुँईयाँ मा उतर के सागर मा समागे रहीस। एखरे सेती इही दिन गंगासागर मा संकरान्ति के मेला भराथे। ए दिन तिल के बङभारी महत्तम हावय। सुरुज देवता के बेटा सनी हा हरय। ए दिन सुरुज नरायन हा अपन बेटा सनी के घर जाथे,ता सनी हा सुरुज देव ला कस्ट झिन देवय तेकरे सेती तिल (तिली) के दान करे जाथे।
तिली मा कार्बोडाइट्रेट, कैल्सियम अउ फास्फोरस रहीथे। वइसनहे गुङ़ मा केल्सियम, लोहा अउ बिटामिन भरे रहीथे। तिली अउ गुङ ला मिलाके खाय ले थकासी दुरिहा जाथे। सरीर ला उरजा मिलथे। सरदी के असर सरीर मा कम होथे। गुङ़ खाय ले हिरदे हा बङ़ मजबूत होथे। कोलेस्ट्राल ला घटथे।
तिल सकरायत के दिन बङ़े बिहनिया ले नंदिया मा नहाय के दान-पुन करे के महत्तम हावय। देव-धामी मन के पूजा-पाठ करके अपन समरथ दान-पुन करना चाही। दान मा दे जीनिस के सौ गुना पुन ए परब के मिले के महिमा हवय। ए दिन पतंग उङाय के रंग-बिरंगी सुग्घर परमपरा हमर देश मा हावय। पतंग उङाय के पाछछ इही तर्क हे के ए दिन मा सुरुज नरायन के किरन हा मनखे के देह मा सोज परथे जउन हा सरीर बर दवा के काम करथे। सरी भारत भर मा
ए दान-पुन के परब ला बङ सरद्धा अउ बिसवास ले मनाय जाथे।
कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक- भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9753322055
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]