तोर धरती तोर माटी रे भइय्या तोर माटी ॥
लड़ई झगरा के काहे काम
जे झन बेटा ते ठन नाम
हिन्दू भाई ला करंव जय राम
मुस्लिम भाई ला करंव सलाम
छरती बर तो सबो बरोबर, का हांथी का चांटी रे भइय्या ॥
फूले तरोई के सुंदर फुंदरा
जिनगी बचाये रे टुटहा कुंदरा
हमन अपन घर मां जी संगी
देखव तो कइसे होगेन बसुंदरा
बडे बिहिनिया ले बेनी गंथा के, धरती हा पारे हे पाटी रे भइय्या ॥
खावव जी संगवारी धान के किरिया
चंदन कस चांउर पिसान के किरिया
बने भिखारिन गली मां भटकय
हमर महतारी किसान के तिरिया
चुकुल बनाके छाती मां हमर, बैरी मन खेलथें बांटी रे भइय्या ॥
– पवन दीवान
चंदैनी गोंदा के लोकप्रिय गीत Tor dharti tor mati re bhaiya
सचाई तो यह है कि संगीत चंदैनी गोंदा का सब से सशक्त पक्ष है। बल्कि इसके माध्यम से बाहरी लोगों को सही-सही मालूम होता है कि छत्तीसगढ़ का जीवन क्रम किस कदर संगीतमय है। हर अवसर, तीज-त्योहारों के लिए गीत निरर्धारित है। शिशुजन्म से लेकर उसके बढ़ने के साथ, खेतों में बुआई से लेकर फसल के पकने के साथ गीत चलते हैं। छत्तीसगढी-गीतों की धुनें विशिष्ट होती हैं – सुरों को लम्बा खींच कर वातावरण में तैरते रह जाने के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर नए पद आरम्भ से उठा लिए जाते हैं। चंदैनी गोंदा के संगीत में वाद्य नहीं, गायन प्रधान है।