पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।
पानी बिन मुसकुल हे जीना, पानी प्रान पियारा।
जीव जगत जन जंगल जम्मो, जल बिन जर मर जाही।
पाल पोस के पातर पनियर, पानी पार लगाही।
ए जग मा जल हा सिरतो हे, सबके सबल सहारा।
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।1
तरिया नँदिया लहुटय परिया, धरती दाई रोवय।
रुख राई हा ठुड़गा ठुँठवा, बादर बरसा खोवय।
मनखे के हे ए सब करनी, भोगय जग संसारा।
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।2
राहत भर ले सेखी मारे, भर भर उलचे भारी।
खोर गली मा रेला माते, सरथे कोला बारी।
एक्के चुरुवा पानी खातिर, फिरबो आरा पारा।
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।3
जिवरा जरही जल बिन जौंहर, पानी सबो सिराबो,
मुसकाही ए जिनगी काली, पानी आज बचाबो।
साव चेत तैं हो जा मितवा, समझव ईश इशारा।
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।4
छेंकव रोकव आवव संगी, बिरथा बरसा जल ला।
जतके जरुरत हावय जल के, खोलव थोरिक नल ला।
सोंच समझ के पानी बउरव, चलही तभे गुजारा।
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।
पानी बिन मुसकुल हे जीना, पानी प्रान पियारा।5
कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक- भाटापारा
जिला- बलौदा बाजार (छग)
संपर्क- 9753322055
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