चर्चा फलानिन के अउ हमर बखान ओ मेर
ले बईरी लहुट गे,काली जेन संगवारी रिहिस..
ओकर गारी ला हम हंसी ठट्ठा जानेन
का बताबे जेन जुन्ना चिन्हारी रिहिस..
मया के लहसे दुःख पीरा कैसे बतातेन तेमा
कुचराए अंगरी माँ लहू केतुरतुर धारीरिहिस
हम कहाँ के चन्ठ , का जान्तेंन राग पाग
जाउन रिहिस ओ बेरा उमेश तिवारी रिहिस…
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मै जियत हव चेता दे सब ला
मोर बैरी मन ला बता दे सब ला
अगास दुरिहा हें भुइया तान्ठ
बनत दाम तक सुता दे सब ला
रहापट पाछू रोवई नई ए जरुरी
आंखी,छाती,अंतस गुन्ग्वा ले सब ला
पिंजरा तोरई बाद के बात ए
जतका उड़े के साध हें,बुता ले सब ला
आवत जावत देख के मुस्किया लव मंद मंद
मुरुख मनखे ला आज ले,गियान देना बंद
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खडहर खडहर बांचे हे,सब महल अटारी सिरागे
बने होईस मूड़ उपर ले,छान्ही,छाता-छतरी सिरागे!!
कैसे चिमनी-कंदील-बम्बर लेके रेंग्बे कट अंधियारी म
जतका रहिसे अंजोर,दिया -बाती-लुक-चिंगारी सिरागे!!
जऊँ करेन,जैसे करेन,जिनगी भर अकेल्ला करेन
हमर बर सब देवता -धामी ,असुरारी-त्रिपुरारी सिरागे
जेन कही थन ,सबके आघू म,छाती ठोंक के कही थन
हमर मुह ले पीठ पाछू के सब चुगली चारी सिरागे
हमर झुग्गी,हमर कुंदरा कईसे बन्च्तिस तेमा
जेन हमर किस्मत ले सब बगईचा बारी सिरागे
घेरी भेरी उनकर सुरता म लहुट लहुट के आहू
कईसे कईही की मोर जिनगी ले,उमेश तिवारी सिरागे
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कभू घाम मिलत,कभू छाँव जनावत,
अइसने हिसाब बराबर होथे !!
किस्मत के नव माँ करम-छढ़हाई
मोरेच संग माँ काबर होथे ??
मानुख के जात नंदावत हे आजकल
मिलईया भेड़िया नई ते गाहबर होथे !!
हमेशा हथियार मारे बर नईये जरुरी
घुसाय बर बात घलो साबर होथे !!
छाती पोठ रख,जादा रो झन उमेश
जवईया ला एक न एक दिन आये बर होथे !!!
यह छत्तीसगढ़ी रचना एक प्रसिद्द उर्दू शेर का अनुवाद कम विस्तार ज्यादा है.पढ़कर प्रतिक्रिया ज़रूर दें
पं.उमेश तिवारी
सब्बो रचना अच्छा हवय।
हरेक लाईनअंतस म समागे …….बहुतेच सुघ्घर अउ ठेठ भाखा म छत्तीसगढ्यिा शेर के गरजई का पूछबे..; लिखईया पठोईया ल बधई।
Very good initiative.
We can do better jobs on it
Best wishes