कलजुगहा बेटा : नान्हे कहिनी

रतिहा के दस बजे के बेरा दसरी डोकरी के खैरपा ल कोनो लाठी मं ठठाइस अऊ जोर-जोर ले गारी देवत चिल्लाइस त बेचारी ह खटिया ले उठिस। खैरपा ल खोलिस, तभे ओखर जवान बेटा ह मन्द के नसा म गिरत-हपटत भीतरी आइस। बेटा के मुंह ह मंद के दुर्गन्ध म बस्सात रहय। बेटा ह चिल्लाइस ये दाई, मोला सौ रुपिया अभीच्चे दे, मोला खचित काम हे। दसरी डोकरी ह ओला गुस्सा म किहिस अरे नालायक, सबो जेवर-गहना ल जुआं, सराब म उड़ा दे हस। बहू ल घर ले भगा देहस अउ मोर छाती ल छोलत हस रे करम छंड़हा। टूरा ह करमछंड़हा सुनके बगियागे- देख डोकरी तेंहा मोला रुपिया देबे के नहीं। दाई ह रोवत-रोवत किहिस, कहां ले दंव रे टूरा।
बनी-भूथी करथंव त खाय बर मिलथे। तोर ददा ह त मोला दु:ख पाय बर छोड़ के रेंग दिस। ये नानकुन कुरिया ह बांचे हे। उहू ल तैंहा गहना धर दे हस रे दोखहा। रतिहा भर मन्दहा टूरा ह घर म उत्पात मचाइस। बिहनिया कुरिया म डोकरी के लास परे रहय। फैरका ह खुल्ला रिहिस। टुरा के अता-पता नइ रहय। परोस म इही गोठ होवत रहय के मन्दहा कलजुगहा बेटा ह दाई के घेंच ल मसक के मार डारिस।

आनंद तिवारी पौराणिक
श्रीराम टाकीज मार्ग,
महासमुंद

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One Thought to “कलजुगहा बेटा : नान्हे कहिनी”

  1. कलजुगी मंदहा बेटा मन के यही हाल है.

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