दारु संस्कृति म बूड़त छत्तीसगढ़





हमर छत्तीसगढ़ ह कौसिल्या दाई के मईके हरे।जौन राम ल जनमदिन जेन मरयादा पुरुसोत्तम होईन। राम कृष्ण के खेलय कूदय छत्तीसगढ़ के कोरा सुघ्घर अऊ पबरित रहीस।आज अईसे का होगे कि अईसन छत्तीसगढ़ म दारु संस्कृति ह पांव लमावत हे। छट्ठी बरही , जनमदिन ,बरसी,सगई, बर-बिहाव, नौकरी लगे,परमोसन, तीज-तिहार, मेला-मड़ई,सबो बेरा म मंद दारु अपन परभाव देखाथे। मैं एक घर छट्ठी म गय रहेंव। मंझनिया भातखाय के बेरा सबोझन ल बलाईस, छत म टाटपट्टी जठा के छत्तीसगढ़िया रेवाज म बईठारिस। पतरी बांट के बरा, सोंहारी, तसमाई, छोले पोरस दिन ,पाछू-पाछू पानी पियाय के अड़बड़ अकन डिस्पोजल गिलास म मंहुवा दारु ल रेंगाईस।मैं कहेंव ये का करतहव जी , जौन ल लुकाय के हरे ऊही ल सम्हेरा म लानथव। घर के सियान कहीस-तोला नई बनत हे त ओदे खोली म चल दे,हमर गांव म चलन हे,अईसन नई करबो त हमला गरीब अऊ कंजूस कही। हमर इज्जत के सवाल आय? मैं चुप होगेंव अऊ आगेंव। संझा परोसी के साढ़ू गांव ओकर बेटी के सगई कारयकरम म गयेंव।उहां के रंगढंग ल देखके बईहागेव।जतका बरतिया सगा आय रहिन ओमा पांच-सात झन ल छोड़ के सबो झन माते राहय। नेग जोग बने बने निपटिस ।जेवन करे के बेरा जेवनास म झगरा मातगे।बरतिया मन दारु के फरमाईस कर दिस,तभे जेवन करबो कहीस। परोसी के साढ़ू सादा मनखे फेर नवा सगा के मानगऊन करे म लग गे।तीन दिन पाछू अईसने जब ओ बात ल सुनेंव त मोर हिरदे ल धक्का लागगे जब पोस्ट मार्टम कराय चीरघर आय मुरदा के घरवाले ल कम्पोटर अऊ डाक्टर ह दारु के बेवस्था करेबर चेताईस। आज अईसने किसम के दारु संस्कृति चलत हे।




गुरुजी इस्कूल म दारु पी के जावत हे। डाक्टर ह अस्पताल म, सरकारी दफ्तर म बाबू, चपरासी, अधिकारी मन मुंहूं ताकत रहिथे चारा फेंकथे कोन फंसही। नेता मन वोट बर दारु बांटथे। सांस्कृतिक अऊ खेलकूद के आयोजन म घलो चलथे। पबरित रामायन गवईया मन पी खा के मंच म चढ़थे। लईका, जवान, सियान इहां तक कि अब हमर महतारी मन घलो पीयेबर सीखत हे,टी वी देखदेख के।दारु पियाई ल आजकल के फैसन मानथे। मंद दारु पीये ले नुकसान ही होथय।सड़क दूरघटना म दारु के बहुत बड़ योगदान हे। सबोझन जानथे दारु पीये अऊ पियाय ले आज तक काकरो नई बनिस ऊपर ले भाई भाई म झगरा।गांव म झगरा,मारपीट हो जाथे। परिवार ले परिवार टूट जाथय।नत्तागोत्ता के आनाजाना छूट जाथय ।लोग लईका के भविस्य बिगड़ जाथे। फेर हमर छत्तीसगढ़ ले दारु संस्कृति ल कब दुरियाही। गांव गांव म नारी- महतारी मन संगठन बनाके भट्ठी ल अपन गांव ले दुरिहाय के उदीम करत हे तौन एक सराहनीय बुता आय एमा हमला जुरमिल के संग देयबर परही। अपन अपन जात समाज म जोर देके कहे बर परही कि दारु संस्कृति ल जेन नई छोड़ही ओकर जात समाज ले नत्ता टूट जाही, तभे हमर सपना के छत्तीसगढ़ बनही।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा,जिला- गरियाबंद



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