सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे सोचथन अउ कहिथन के मनखे ला जियत भर जिनगी के जतका मजा लूटना हे लूट लेना चाही मरे के बाद कोन जनी का होही? हमर गोठ हर जबर सोचे के हावय।
संगवारी हो हमर गोठ अउ तइहा के सियान मन के गोठ जबर फरक हो गै हावय अउ फरक ला मिटाना बहुत जरुरी हो गै हावय काबर के हमर गोठ मा तो दूर के सोच हावय तो आसा हावय तो भरोसा हावय। संगवारी हो तइहा के मनखे मन रूख-राई लगावै सोच के लगावै के हमर नाती-नतुरा मन रूख के फर ला टोर-टोर के खाही उमन ला कतका मजा आही। तइहा के मनखे मन ला अगर रद्दा मा गली-खोर मा बमरी के काॅटा-खुटी परे दिख जाय ओला बिन के तिरिया देवय अउ नइ बार देवै काबर के कोनो मनखे रद्दा रेंगय उखर पाव कांटा झन गड़य। तइहा के मनखे मन बाग-बगइचा लगावै सोच के लगावै के कोनो थके-हारे मनखे मन रद्दा ले गुजरही थोरकन अराम कर लेही। तइहा के मनखे मन कुआॅ-तरिया खनावै सोच के कि कोनो प्यासे जीव के प्यास बुझाही ओखर आत्मा हर हमला असीसही अउ यही असीस ला पाबो हमर तरक्की होही। मंदिर देवालय बनवावय सोच के कि कोनो दुखी मनखे रद्दा रेंगय भगवान ला याद करके उंखर दुख हा दूर हो जावय। धरमसाला बनवावै सोच के कि मय हर भले नइ रहूॅ फेर मोर नाव हर अमर रइही। संगवारी हो कतका सुघ्घर बिचार रहय उमन के जेमा कतका दूर के सोच राहय, आसा राहय भरोसा राहय, दया राहय, मया राहय, सुख राहय, संतोष राहय। आज हमन हर केवल अउ केवल अपन बारे मा सोचथन। हमर गोठ-बात के हमर सोच-बिचार के अउ हमर करम-धरम के हमर लोग-लइका उपर अउ आनेवाला पीढ़ी उपर का असर होही एखर चिंता बिल्कुल नइ करन अउ अगर करे के परयास घलाव करथन हमर लोग-लइका मन के मन नइ आवय काबर के बाहिरी दुनिया आए के बाद उमन ला हमर सोच हर दकियानुसी लागे लगथे। उमनला लगथे के जब दुनिया अपन चिंता डूबे हावय हम काबर दुनिया के चिंता करी? उमन के मन सोच हर पाए के आथे काबर कि उमनला लगथे के दुनिया ला बदलना बहुत कठिन काम हवय एखर ले सरल काम हवय के अपन आप ला दुनिया के अनुसार बदल लिये जाय।
संगवारी हो वही मनखे मन महामानव कहलाथे जउन मन दूर के सोचथे अउ दुनिया ला सही रद्दा मा रेंगे बर सिखाथे। अगर हमन सिरफ अपने बारे मा सोचबो तब हमर अउ पसु-पक्षी अंतरे का रहि जाही? तइहा के सियान मन बात ला नइ भुलाए रहिन हे के भगवान हर हमला मानुस तन देहे हावय परोपकार करे बर। हमन हर दुनिया सब दिन रहे बर नइ आय हावय। हमन सब ला एक एक दिन दुनिया छोड़ के जाना हावय लेकिन दुनिया ओखरे आना हर सार्थक हावय जेखर नाव हर अमर हो जावय। जउन हर दुनिया कुछ अच्छा काम करके जावय ओखरे जिनगी के महत्तम हावय। हमर देस अइसे कई महामानव जनम लिये हावय जेखर नाम हर अमर होगे हावय जइसे कि महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, पंडित मदन मोहन मालवीय, राजा राम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक अउ अइसे कई ठन नाम हावय जउन मन हमर समाज अउ देस ला दूर के सोचे बर सिखाइन हावय अउ हमर समाज अउ देस ला सोझ रद्दा रेंगे बर सिखाइन हावय। संगवारी हो अगर इमन केवल अपन बारे मा सोचतिन तब सायद हमर देस हर अभी तक गुलाम रहितिस। संगवारी हो केवल मनखे ला ही भगवान हर अतका बुद्धि देहे हावय के वो हर अपन बर अउ दूसर बर कुछ करे के दम रखथे।
एखरे सेती हमन ला हमेसा परोपकार करे के बारे मा सोचना चाही। हमनला हमेसा अइसे काम करना चाही जेखर दूरगामी परिणाम हर अच्छा होवय जेखर से कोनो ला कुछु नुकसान झन होवय।
संगवारी हो नवा बछर हर, हर बार हमला नवा मौका देथे कि हमन अपन समाज अउ देस बर कुछ अइसे करन कि हमर संगे.संग आने वाला पीढी के घलाव भलाई होवय। संगवारी हो नवा बछर मा हमन ला योजना बना लेना चाही कि हमनला बछर भर का.का बने काम करना हवै अउ तन मन अउ धन से अपन योजना ला साकार करे मा लग जाना चाही एखर से हमरो भला होही अउ हमर देस के अउ दुनिया के घलाव भला होही अउ जउन कारण से भगवान हरहमला मनखे के तन देहे हावय तउनो कारज हर सिद्ध होही। एखरे सेती तो तइहा के सियान मन कहिथे-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। तभे तो सियान मन के सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावय। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
बिलासपुर
(दैनिक भास्कर, बिलासपुर ‘संगवारी’ ले साभार)