टूटगे आज
मरजादा के डोरी
लाज के होरी ।
मरजादा के डोरी
लाज के होरी ।
पईसा सार
नता-गोता ह घलो
होगे बेपार ।
मन म मया
सिरावत हे, पैसा
हमावत हे ।
बढती देख
ऑंखी पँडरियागे
मया उडा गे ।
करथे तेन
मरथे, कोढियेच
मन फरथे ।
पैसा के खेल
ईमानदार मन
पेल-ढपेल ।
परबुधिया
बनके झन ठगा
ठेंगवा चटा ।
परगे पेट
म फोरा, मुसुवा ह
निकालै कोरा ।
पेट के सेती
शहर जाथे, उहें
पेट कटाथे ।
मया के गीत
मन गुदगुदाथे
फागुन आथे ।
नरेन्द्र वर्मा
सुभाष वार्ड, भाटापारा
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