मैं पीएचडी तो कर डारे हंव अब डी-लिट के तैयारी में हौं। मोर विषय रही ‘मेंछा के महिमा अऊ हमर देस के इतिहास’ मोला अपन शोध निर्देशक प्रोफेसर के तलाश हे। कई झन देखेंव पर दमदार मेंछा वाले अभी तक नई मिले हे।
मेंछा ह शान के परतीक आय अऊ दाढ़ी ह दृढ़ता के। मेंछा चालीसा ल मैं इतिहास से शुरू करत हौं। भगवान मन में बरम्हा जी, शंकर जी, हनमान जी अऊ विस्वकर्मा जी के फोटू म कभू-कभू मेंछा के दरसन हो जथे। मेंछा के महिमा के बखान मेंछा रखइया मन ह कर सकथे। ऊपर में जेन चार देवता मन के नाम गिनाय गे हे ओमन कोई न कोई जबरदस्त काम करे हे। शायद अपन मेंछा के शान ल बरकरार रखे बर ओमन ह खास काम करके देखाइन हे। बरम्हा जी, हन्मान जी, बिस्वकर्मा जी के मेंछा ह सफेद रहिथे तब सदाशिव शंकर के मेंछा ह करिया। मतलब मेंछा जगत में ब्लेक एंड व्हाइट के कब्जा अभी बरकरार हे। मेंछा मन अभी कलरफुल नइ होय हे। मुंड़ के चूंदी ह नीला, पीला, कत्थई, हरा, मेंहदीला रंग में दिख जथे। लेकिन मेंछा या तो सफेद होथे या करिया। जइसे कलजुग के नारी के लो-नेक ब्लाऊज ह अतका नीचे उतर गे (पतन होगे) कि नीचे के कपड़ा ह थोक-थोक ऊपर सरक के ब्लाऊज बने के कोशिश करिस अऊ मरजाद बचाय के भागीरथ प्रयास करिस। भले ओखर ये कोशिश में टांग ह उघरत गिस अऊ चड्डी घलो दिखे ल धर लिस। ओइसने रंग के घलो पतन होही। ओ कलरफुल रंग ह कोनो दिन मेंछा तक तो जरूर उतरही। आप मन खिचरी मेंछा (50 सफेद 50 करिया) ल घलो एक ठन नवा रंग मान सकथौं पर मैं हा नइ मानंव। काबर कि ओ मनखे के का गिनती जो न मर्द हे न औरत। त फेर बीच के मेंछा के का गिनती जी।
बरम्हा जी ह दुनिया ल बनइस, बिस्वकर्मा जी ह ओला बेवस्थित करिस। हनुमान जी ह लंका ढाइस अऊ शिव जी ह तो अजर-अमर अविनाशी हे। ारा (थोड़ा) भी ारा (बुढ़ापा) नइ आही तब चूंदी ह कइसे पाकही? आप मन ये मत समझों कि शिवजी ह हर संडे अपन मेंछा में डाई लगवाथे।ओखर मेंछा ह अपन मन के ही करिया हे।
मेंछा के एक सुग्घर उपयोग हे। अगर दूध में कतका पानी मिले हे ये जानना हे तब एक कप गरम दूध कोनो मेंछा वाले आदमी ल पिया दौ। अगर साढ़ी ह ओखर मेंछा में जोंक कस चिपक जाय तब समझौं कि दूध ह शुध्द हे, अऊ दूध के बूंद ह ओरवाती कस पानी टपक जाय तब समझ जावो पानी में दूध मिले हे (दूध में पानी मिले हे अइसे नहीं)। मेंछा ह सस्ता अऊ सर्वसुलभ लेक्टोमीटर के काम करथे।
मेंछा ह कोनो-कोनों आदमी के पहिचान घलो बन जथे। मेंदा के साइज बताके आदमी के पता पूछे जा सकथे। नानचुन, मंझोला (बीचोंबीच) ऊपरिमुख, अधोमुख जइसे कई प्रकार के मेंछा होथे। ये मन ला बटरफ्लाई, हाफ साइज, ओवर साइज लो वेण्ड व ओवर साइज स्कॉर्पियन कहे जाथे। लो बेण्ड मेंछा ह धनुष कस नीचे तरफ मुडे होथे। अइसन प्रकार के मेंछा रखइया मन जब अपन तर्जनी (लड़ई के अंगठली) ल मुंह के सामने रखके श ऽ ऽ ऽ ऽ श (चुप रहो) के इशारा रोवइया या अतलंगहा लइका मन ल करथे तब ऊंखर मेंछा ह कुदारी कस दिखथे अऊ अंगठी ह बेंठ बन जथे। बाकिन कभू चेत करके देख लुहू।ध्द अइसने ओकर साइज स्कॉर्पियन मूंछ भी होथे। ओवर साइज माने होंठ के कोर से अऊ आगू जादा लम्बा। स्कॉर्पियन माने बिच्छी। अइसन मेंछा हा देखे में अइसे लगथे कि दू ठन बिच्छी मन एक दूसर कोती मुंह करके अपन डंक ल फुलफो म उठाय हें।
मेंछा ह फटे होंठ, रचे दांत अऊ बेरी-बेरी रोग के रोगी के होठ के किनारे के सफेदी ल ढंक लेथे। माने मेंछा ह ऐब दबाय में भी मददगार होथे।
माईलोगन मन एवरेस्ट (मसाला नहीं पहाड़) में चढ़ सकथे, जिहाज ल उड़ा सकथे, फर्राटा दौड़ में पहला नं. में आ सकथे, पत्नी हो के भी राष्ट्रपति बन सकथे। लेकिन एक काम में उन ला हमेशा मरद जात से पीछे रहिहि… अऊ ओ काम हे मेंछा ल शान से अइंठना। मेंछाच ह पुरुष अऊ स्त्री में मुख्य भेद कराथे। वइसे भी तीन किसम के मानुस जात पाय जथे नर, मादा अऊ नर्मदा नर याने पुरुष, मादा याने स्त्री अऊ नर+मादा= नर्मदा यानि 50-50।
माईलोगिन मन चूंदी कटवा के पेंट शर्ट पहिन के कोट लगा के पुरुष कस दिख सकथे, काम घलो कर सकथे पर मेंछा नइ अइंठ सकय। उहू मन दावा कर सकथे कि पुरुष मन बच्चा पैदा नइ कर सकय पर कुछ दिन म अमेरिका ह ये दावा ल भी लबारी बना दीही।
अगर कोनो मनखे ले आपके भंइसा बैर हे अऊ बदला निकालना चाहत हौ। बैरी ल अपने हाथ से अपन गाल में तमाचा मरवाना चाहत हौं तब मोर मेर एक आइडिया (सिम नहीं तरीका) हे। जेखर से आप ‘अहिंसा परमो धर्म:’ के समर्थक भी बने रहि सकथौ।
सुनौ… आप अपन एक इंच लम्बा मेंछा के एक ताग ल उखान लौ। जब बैरी ह अपन बिछौना में आंखी मूंद के सुते राहय तब उही ताग ल ओखर गाल में धीरे-धीरे रेंगावव। अइसे रेंगावव के आपके अंगठली ह ओखर गाल से टच झन होवय। (नइते परले हो जही)। बैरी ह समझही कि ओखर गाल में मांछी, चांटी या भुसड़ी रेंगत हे। वो ह ओला भगाय के एकाध बार कोशिश करही। अऊ बार-बार अइसने होय से वो ह ओला झापड़ मार के मारना चाही मगर झाफड़ कहां लगही?…ओखर गाल में… आप मन डेरी से जेवनी या ऊपर से खाल्हे कुती प्रयोग अपन सुविधा के अनुसार कर सकथौ। जतका बार आप प्रयोग दुहराहू शत्रु ह ओतके चांटा झापड़ अपन गाल में मारही। मगर एमा एक-एक सावधानी भी हें कि बैरी के आंखी खोल के देखे के पहिली ही आप ल वहां से फरार हो जाना है। यदि अइसे नइ कर सकेव त आप ल 6 के मुकाबला में 12 झापड़ पड़ सकथे। (ऐखर बर मैं जिम्मेदार नइ राहंव प्रयोग करइया ह खुद अपन करनी के जिम्मेदार होही।) कहे के मतलब हे कि मेंछा ह घलो अहिंसक कांति करा सकथे।
चनद्रशेखर आजाद, छत्रपति शिवाजी अऊ महाराणा प्रताप से बैरी मन थर्र हो जावय। ऊंखर मेंछा ह बिच्छी के डंक जइसे दिखय। बैरी मन सोंच में पड़ जाए अऊ कल्पना में ही ऊंखर शरीर में बिच्छी के झार चढ़ जावै। मानसिक रूप से पहिली ले हार जावय त लड़ई में कहां से जीतय?
मेंछा के शासन बताय बर एक झन निर्माता ह तीन घंटा के फिलिम बना डारिस। ओमा डायलॉग रखे गीस ‘मूंछें हो तो………. जैसी हो, वरना न हों।’ पिक्चर के हीरो घलो ह दाढ़ी मेंछा लगाके खलनायक मन के सरबनाश करथे। कई मनखे मन मेंछा से टरक खींच के या बजनदार पथरा उठाके अपन नाम गिनीज बुक में लिखा डारिन। मेंछा के लम्बाई के कारण कृष्णजी के ‘नागिन सी भुंई लोटी’ उक्ति हा चरितार्थ होगे।
मैं पीएचडी तो कर डारे हंव अब डी-लिट के तैयारी में हौं। मोर विषय रही ‘मेंछा के महिमा अऊ हमर देस के इतिहास’ मोला अपन शोध निर्देशक प्रोफेसर के तलाश हे। कई झन देखेंव पर दमदार मेंछा वाले अभी तक नई मिले हे।
आजकल के टुरा मन चाकलेटी दिखे के चक्कर म रोजे-रोज मेंछा ल मुंड़थे। कहिथे ये तो घर के खती ये कभू बांवत कभू लुवई फरक नई पड़य। न तो अदालत ह ऐमा स्टे लगा सकय न सरकार ह टैक्स।
लेकिन मोर मानना हे कि मनखे ल अपन मेंछा जरूर रखना चाही। काबर कि तभे दर्पण ह हमर मर्द होय के गवाही दीही। भले हमर बाई मन घर के अंदर हमला कतको मारय-पीटय लेकिन दुनिया के नजर म (अऊ दर्पण देखके अपनो नजर में) हम मर्द बने रहिबो। घर के झगरा अऊ झगरा में हमेसा हमर हार, ये तो अंदर के बात ए।
डॉ. राजेन्द्र पाटकर ‘स्नेहिल’
268, हंस निकेता-कुसमी बेरला दुर्ग