चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला
हाबे अब्बड़ भीड़ भाड़, नइ जावन अकेल्ला।
हर हर गंगे असनान करके, पानी हम चढाबो
दरसन करबो महादेव के, वोला हम मनाबो।
भीड़ लगे हे मंदिर में, होवत पेलम पेला
चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला ।
संग में जाबोन संग में आबोन,अब्बड़ मजा आही
आये हाबे बहिरुपिया मन,खेल तमासा देखाही ।
घूमत हाबे पाकिटमार मन,जेब ल अपन बचाबे
ठग जग करइया कतको हाबे, देख के जिनिस बिसाबे
जगा जगा लगे हाबे, माला मूंदरी के ठेला
चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला ।
कोनों जावत मोटर गाड़ी,कोनों रेंगत जावत हे
कोनों लेवत पेठा जलेबी,कोनों भजिया खावत हे
उड़त हाबे अब्बड़ धुररा,नाक कान बोजावत हे
पहिने हाबे चसमा संगी,मुँहू ह ललियावत हे
डोकरी दाई बइठे बइठे, खावत हाबे केला
चल संगी घुमेल जाबोन, माघी पुन्नी के मेला ।
महेन्द्र देवांगन “माटी”
पंडरिया
8602407353