शिव शंकर ला मान लव , महिमा एकर जान लव ।
सबके दुख ला टार थे , जेहा येला मान थे ।।
काँवर धर के जाव जी , बम बम बोल लगाव जी ।
किरपा ओकर पाव जी , पानी खूब चढ़ाव जी ।।
तिरशुल धर थे हाथ में , चंदा चमके माथ में ।
श्रद्धा रखथे नाथ में , गौरी ओकर साथ में ।।
सावन महिना खास हे , भोले के उपवास हे ।
जेहर जाथे द्वार जी , होथे बेड़ा पार जी ।।
महेन्द्र देवांगन “माटी” (शिक्षक)
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
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