शिवशंकर के सावन सम्मार

हमर हिन्दू पंचांग के दिन तिथी के नामकरन हा कोनो ना कोनो देवी-देवता मन ले जुड़े हावय। सब्बो सातो दिन के नाँव के कथा हा अलग-अलग हावय। सनातन धरम मा जम्मों तिथी के नाँव हा देवता मन ले जुड़े मिलथे। सातो दिन पहिली मा सबले पहिली दिन इतवार के संबंध भगवान सूरुज नरायन ले माने जाथे। तीसरइया दिन मंगलवार के संबंध हा संकट मोचन हनुमान ले माने जाथे। कोनो कोनो जघा मा कोनो कोनो मन हा ए दिन गनेस देवता के दिन मानथे। बुधवार के दिन भगवान बुध के बिधि-बिधान ले पूजा होथे जौन हा सान्ति के देवता हरय। बिरसपत के दिन केरा पेड़ मा अपन गुरुदेव के पूजा के दिन होथे। सुकरवार के दिन हा देवी दाई संतोसी माता बर जग परसिद्ध हावय।सनिचर के दिन महाकाल के रुप भैरव बाबा अउ महाकाली माता के पूजा-पाठ करे जाथे। ठीक अइसने सम्मार के दिन हा शिवशंकर के पूजा सबले जादा होथे। सनातन धरम मा कहे जाथे के भले कोनो दिन शिवमंदिर भगवान शंकर के दरस बर जावव के झन जावव फेर सम्मार के दिन खच्चित जावव। ए दिन शंकर जी के दरसन बड़ सुभ फलदायी होथे। सम्मार सुफल वार कहाथे।




शिवशंकर के पूजा पाठ सम्मार के दिनेच काबर होथे एला जाने के परयास करथन। सबले पहिली ए सात दिन के जनम के बारा मा बिचार करथन। सहीच मा देखे जाय ता ए सात दिन तिथी हा भगवान शंकर ले ही प्रगट होय माने जाथे। ए परकार ले भगवान शंकर हा ए सातो दिन के जनम देवइया ददा बरोबर हरय। शिव महापुरान के हिसाब ले जम्मो परानी मन के अवरदा ला निरधारन करे बर भगवान शंकर हा ए तिथी अउ दिन के रचना ला रचिस। अवरदा के बेवसथा ला बनाय बर दिन तिथी के बिचार ला बिचारिन। सबले पहिली अंजोर देवइया जोत के रुप मा सूरुजनारायन के रुप मा प्रगट होके रोग-राई के नास करे बर पहिली दिन इतवार ला सिरजाइन। जग कल्यान बर अपन सबला सौभाग्य देवइया शिवशक्ति बर दुसरइया दिन के बिचार मढ़ाइन। एखर पाछू अपन बड़े बेटा कुमार बर तीसर दिन ला शिवजी हा सिरजाइन। सरी लोक के रक्छा के भार धरइया अपन संगवारी सिरी बिस्नु अउ चउथा दिन के रचना रचीन। अपन देवता मन के गुरु के नाँव ले पचवइया दिन ला रचीस अउ ओखर मालिक यमदेवता ला बनाइन। राक्छस मन के गुरु के नाँव ले छठवइया दिन ला रचीस अउ ओखर मालिक ब्रम्हा ला बनाइन अउ सतवइया दिन ला सिरजा के एखर मालिक इन्द्र ला बनाइन। नछत्तर ग्रह मा सात असल ग्रह हा भर दिखथे एखरे सेती शिवशंकर हा सूरुजनरायन ले शनि देवता तक के सात दिन के रचना ल रचीन। राहू अउ केतू छँइहाँ ग्रह होय के खातिर नइ दिखय एखरे सेती इंखर बर कोनो दिन तिथी ला नइ सिरजाइन।
वइसे तो भगवान शंकर के पूजा-पाठ उपास-धास अलग-अलग दिन अलग-अलग फल देथे।
“आरोग्यं संपदा चैव व्याधीनां शांति रेव च।
पुष्टि रायुस्तथा भोगोमृतेहार्यनिर्यथाक्रमक।।”
स्वास्थ, संपती रोगनास, अवरदा, भोग अउ अकाल मिरित्यु ले बाँचे बर इतवार ले शनिच्चर तक भगवान शंकर के अराधना करना चाहिए। जम्मों तिथी वार मा जब शंकर भगवान हा फल देथे ता सम्मार के दिन के धरे बाँधे काय हे, का ए सम्मार के दिन शंकर भगवान के अराधना ला मनखे हा अपन सुबिधाबर बाँधे हे!! आवव ए बात ला जाने के परयास करथन के सम्मार के दिन शिवशंकर के पूजा के कुछू खास बात हे का?




पुरान मन के हिसाब ले सोम के अर्थ चन्दा होथे अउ चन्दा हा भगवान शंकर के मूँड़ मा मुकुट बरोबर सोभा पाथे। चन्दा ला कपटी, कलंकी, कामी, तिरछन, मरहा-खुरहा, चोरहा-लबरा होवत घलाव भगवान शंकर हा छमा करके अपन माथ के मुकुट बनालीच। अइसने हमरो अपराध अउ पाप ला छमा करके शिवशंकर हा हमर उपर किरपा करके जिनगी ला सफल बनाही। अपन चरन मा भगत मन ला सरन दीही इही गोठ ला सुरता राखेबर सम्मार के दिन ला शिवशंकर के दिन बना दीन। सोम के अर्थ होथे उमा के संग शिव। सिरिफ औघड़दानी शिव भर के उपास-धास नइ करके इंखर संगिनी भगवती शक्ति के घलो संग मा पूजा पाठ, अराधना करना चाही। काबर के बिन शक्ति अउ शिव के भेद ला समझना बड़ मुसकिल हावय। एखरे सेती शिवशक्ति के पूजा-पाठ, उपास-धास करे बर भगत मन हा सम्मार के दिन ला बाँधे हावय। सोम के अर्थ सौम्य होथे, भगवान शंकर हा जबर सान्त समाधि मा रहइया देवता हरय। इही सौम्य सुभाव के कारन भोलेनाथ नाँव घलाव पाये हें शंकर जी हा। सोम मा ऊँ हा समाय हावय, भगवान शंकर ऊँ के रुप हरय। ऊँ के अराधना, ऊँ के उपासना हा भगत मन ला नवा उछाह अउ उरजा देथे। एखरे सेती ऊँकार भगवान शिव ला सम्मार के देवता कहे जाथे। बेद मन मा सोम के अर्थ जौन जघा हे ओ जघा सोमवल्ली के रुप मा ग्रहण करे गे हावय। जइसे सोमवल्ली मा सोमरस रोग-राई के नास करइया अउ सरीर ला पोठ करके अवरदा बढ़ाथे, वइसने भगवान शिवशंकर हा हमर मन बर कल्यान करइया बनय इही पाय के सम्मार के दिन शिव के पूजा करना चाही। सोम के अर्थ चंदा होथे अउ चंदा मन के प्रतीक हरय। हमर जड़ अउ मुरुख मन ला चेतना ले अंजोर करइया भगवान हा होथे। मन ला चेतना के अंजोर मा रेंगा के हमन परमात्मा करा पहुँच सकथन। एखरे सेती देवता मन के देवता महादेवता महादेव शिवशंकर के उपास, पूजा-पाठ, अराधनाअउ साधना सम्मार के दिन करे के बिधान बनगे हावय।
ए प्रकार सम्मार के दिन शिव उपासना अउ अराधना सुभ अउ मनमरजी फल देवइया माने जाथे। सोला सम्मार के उपास हा मनमरजी बरदान पाये बर एक सरल अउ सहज उदिम हरय। सोला सम्मार के सुरुवात हा सावन सम्मार ले होथे। सावन महीना ला बड़ पबरित महीना माने जाथे अउ सावन महीना के सम्मार हा सोन मा सोहागा बरोबर गुनकारी माने गे हावय। एखरे सेती सावन सम्मार के दिन भगवान शिवशंकर के पूजा-पाठ, उपास-धास अउ अराधना के बड़ महत्तम हावय। सावन महीना भक्ती अउ पूजा-पाठ के सबले पबरित महीना माने गे हे। माँस, मंद-मउहा अउ मेछा-दाढ़ी ला घलाव सावन महीना भर हाथ नइ लगावँय। साकाहार के पालन सावन महीना भर सरधा भक्ती ले करे जाय के नियम हावय। कुँवारी कनिया मन सावन भर सम्मार मा शिवशंकर के पूजा-पाठ, उपास-धास ला बिधि-बिधान ले बने घर-दुवार, ससुरार अउ जोंही पाये बर करथें। बिहाता नारी मन हा अपन घर-परवार के खुसहाली, समरिद्धि अउ सम्मान पाये बर सावन सम्मार मा भगवान भोलेनाथ के पूजा-पाठ ला करथें। सावन सम्मार ला पुरुस जात मन घलो बड़ मन लगाके मानथे अउ पूजा-अराधना करथें। अपन बुता-काम, रोजी-रोजगार, धंधा-पानी, पढ़ई-लिखई मा मनमाफिक सफलता पाये बर सावन सम्मार मा शिवशंकर के सेवा भक्ती भाव ले करथें। सावन महीना भर शिवशंकर के मंदिर मा भगत मन के भारी भीड़ उमड़थे फेर सम्मार के दिन सबले जादा रथे। सावन महीना के जम्मों सम्मार के दिन के उपास-धास, पूजा-पाठ के फल हा बच्छर भर के के सम्मार पूजा ले जादा फलदायी माने गे हावय।
सावन महीना के पुन्नी के दिन सरवन नछत्तर होय के कारन ए महीना के नाँव सावन परे हावय। सावन महीना मा भगवान शिवशंकर हा अपन ससुरार कैलासधाम आथे, एखरे सेती अउ सावन महीना शिवशंभू के प्रिय होय के सेती सावन महीना के सब्बो पूजा-पाठ, अराधना हा जलदी फल देवइया माने गे हावय। भगवान भोला भंडारी “आसुतोस” जौन हा सबले जलदी खुस होथे, सबले जलदी संतुष्ठ होथे अइसन महादेव के मनौती के पबरित सावन महीना के सम्मार हा होथे। धरती के चारोखूँट हरियर-हरियर सिंगार अउ बादर ले बरसत अमरित धार हा तन मन ला सांत अउ सीतल बना देथे। इही सीतल अउ सांत समय हा भक्ति अउ अराधना के सबले पबरित बेरा होथे। सबले बड़े देवता महादेव शिवशंकर भोलेभंडारी के सहज, सरल भक्ती अउ सेवा-सत्कार के सोनहा समय सावन महीना अउ सावन सम्मार हा हरय। ए सोनहा समय ला कोनो शिवभक्त मा कोनो हाल मा चुकना नइ चाहँय।

कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक-भाटापारा
जिला-बलौदा बाजार (छ.ग)
संपर्क-9200252055

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