हमर माटी हमर गोठ
भगवान के पूजा करथव
सही रद्दा मा चलथव।
सब्बो झन ला अपन समझथव
ज्ञान के संग ला धरथव
अपन अज्ञानता ला भगाथव
दाई ददा के गुन गाथव।
ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे
छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे।
किसान बेटा के नाम हे
बुता बनिहारी के काम हें।
हेमलाल मोर नाम हे।
मोर बाबुजी गरीब किसान ये
बुता बनिहारी ओकर काम यें
मोर नाम ओकर पहचान यें
बैसाखू ओकर नाम हे।
मोर दाई ममता के बखान ये
घर चलाना ओखकर काम ये
मया अऊ दुलार के भरमाल ये
सोनमति ओकर नाम ये।
छत्तीसगढ़ माटी के भुईयाँ मा बसईयाँ
जहाँ कन्हार मिट्टी के बिछे भुईयाँ
जहाँ भुईयाँ दाई के परथे पैइयाँ
जहाँ चिरई चिरबुन के बसेरा
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ।
किसान के बेटा संगी
भुईयाँ दाई के सेवा बजईयाँ
बुता बनिहारी के करईयाँ
अपन दाई-ददा के छैइहा मा
जिन्दगी के बितईयाँ।
छत्तीसगढ़ के मया करईयाँ
नुन बाँसी अऊ चटनी के खवईयाँ
गाँव घर के रहईयाँ
मोर किसान भईयाँ
हे छत्तीसगढ़ के भुईयाँ
जिहाँ बसे हवय मया दुलार के छैईहाँ
परथव जेकर दिन रात पैईयाँ
गिधवा गाँव मोर जनम भुईयाँ
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा के रहियाँ
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ीयाँ
हे मोर छत्तीसगढ़ भुईयाँ
तोर मैं परथव पैइयाँ
जय हो जय मोर छत्तीसगढ़ मईयाँ।
अपन गाँव अपन माटी
जेमा बसे मोर जिन्दगी के दिनराती
जहाँ हवय मया प्रेम के गोठ बाती
मोला कहिथे हेमलाल छत्तीसगढ़ वासी।
अपना है जुबानी
बुता अऊ बनिहारी को बनाओं मितानी
ये जिन्दगी हे के दिन के संगवारी
आओ मिलके करबो खेती किसानी।
अपनी संगवारी बडे़ भाग्यशाली
मया प्रेम के बड़ मितानी
जेला कहिथे सुख दुख के संगवानी
येही हवय छ.ग. मितान के चिन्हारी।
अपन माटी के प्रेम ला करथव
सनझा बिहनियाँ परथव जेकर पईयाँ
छ.ग. जेला कहिथे मईयाँ।
किसानी के गोठ बाती
गाँव -गवई अऊ देहाती
भैसा-बईला के मितानी
बुता -बनिहारी के संगवारी
यही ला कहिथे भईयाँ मोर छ.ग. माटी।
किसानी के बात है
बुता -बनिहारी के काम हे
छ.ग. माटी के ये पहचान हे
मोर किसान भईयाँ के नाम हे।
हमर देश हमर राज
हमर माटी के पहचान
सीधा-साधा, भोला -भाला
मोर छ.ग. के जम्मो किसान।
प्रेम के बंधना संगी
मया प्रित के छाव
छ.ग. के मया करईयाँ
गाँव देहात के ताव।
अपन छ.ग. भुईयाँ
मया प्रेम के छैईहाँ
जहाँ हवय दाई-दीदी, भईयाँ
गाँव-गवई के रहियाँ
ईही ला कहिथे छ.ग. मईयाँ।
अपन देश अपन राज
मया प्रेम के मोर छ.ग. राज
मोर माटी के येही पहचान
मिलथे यहाँ सबो ला मान सम्मान।
नागर तुतारी के धरईयाँ
बैईला के संग मितानी करईयाँ
धरती माता के पूजा करईयाँ
मोर गाँव के किसान भईयाँ।
अपन गाँव के संगवारी
मया प्रेम के मितानी
संग मा घूमथन, संग मा रहिथन
नईहे कोनो अनचिन्हारी
अपन गाँव के संगवारी
मया प्रेम के मितानी।
मैं लेखक नई रहेव संगी,
रहेव अनपढ़ देहाती,
करत रहेवव खेती किसानी
जब भुईयाँ दाई के मया बरसीच।
तब ले मोर कलम चलगीच,
माटी के मया हा कवि बनादीच।
जबले भ्रष्टाचार अइच
जबले भ्रष्टाचार अईच
जम्मो जगा अपन पाँव जा जमईच
ईमानदारी मन ला कंगला बनाके
बेईमानीमन ला बढ़ईच
जग मा भ्रष्टाचार छईच
ईमानदारी अऊ सदाचारी सिरईच
जबले भ्रष्टाचार अईच
जम्मो जगा अपन पाँव ला जमईच
व्यापारी अऊ ठगी मन जमाखोरी ला पईच
गरीब अऊ बनिहार ला भूखे मारडारिच
जम्मो भारत ला लूट के
खोखला कर डारिच।
जबले भ्रष्टाचार अईच
जम्मो जगा अपन पाँव ला जमईच
मंत्री अऊ नेता मन धोखा धड़ी ला अपनईच
मनखे मन के खून पसीना ला चूस डारिच
गरीब बनिहार मन के हक ला खाके
बड़े-बड़े बाबू मन कोठी ला भरडारिच
स्कूल अऊ काॅलेेज मा ट्यूशन ला खोलिच
पढ़ियाँ लइका मन के अस्तित्व ला सिरवईच
शिक्षक अऊ फ्रोफेसर मन नाम के रहिगिईच
जम्मो झन पैसा मा बिकिच
जबले भ्रष्टाचार अईच
जम्मो जगा पाँव ला जमईच।
माटी के बेटा संगी
माटी के बेटा संगी, माटी बर बड़ मया करय।
जिन्दगी भर माटी के जतन करे बर नई छोड़य।
घाम के दिन बादर, भुईयाँ तिपे तन हा झुलसे।
मझनिया के घाम ला, खेती खार मा झेले।
जरत भुईयाँ मा उखरा पाँव रेगे,
तन ले पसीना पानी कस चुचवागे।
पर माटी के बेटा माटी के जतन करे ला नई छोड़य।
माटी के बेटा संगी, माटी बर बड़ मया करय।
जिन्दगी भर माटी के जतन करे ला नई छोड़य।
बारिश के दिन बादर, मन हा खेत डहर भागय।
बिजली चमकय, बादर गरजय, हवा, गररा घलो आजय।
बादर के करा मा तन हा पिटाजय।
पर माटी के बेटा माटी के जतन करे ला नई छोड़य।
माटी के बेटा संगी माटी बर मया करय।
जिन्दगी भर माटी के जतन करे ला नई छोड़य।
जाड़ के दिन बादर,
सनझा – बिहिना तन हा जाड़ मा ठुठरजाय।
हाथ गोड़ करा कस होवय, जब जाड़ह तन मा घूस जाय।
ऐतेक जाड़ मा कान मा बाँधे पागा बुता मा भीड़ जाय।
पर माटी के बेटा माटी के जतन करे बर नई छोड़य।
माटी के बेटा संगी, माटी बर बड़ मया करय।
जिन्दगी भर माटी के जतन करे ला नई छोड़य ।
-हेमलाल साहू
ग्राम-गिधवा, पो.-नगधा,थाना-नादघाट,
तहसील-नवागढ़,जिला- बेमेतरा (छ.ग.)
मो. नम्बर – 9977831273, 9907737593
bahadurlal_shastri@yahoo.com,
hemlalshahu@gmail.com
बढ़िया प्रयास हेमलाल भाई
बहुत सुघ्घर लागिस संगी तोर कविता ह |