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कबिता : घाम जनावत हे

बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

तात तात आगी असन
हवा बोहावत हे
कोयली मइना सुआ परेवा
नइ गुनगुनावत हे
छानही खपरा भिथिया भूंइया
जमो गुंगुवावत हे
कुकरी बोकरी गरवा बइला
बछरू नरियावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

गली खोल गांव सहर
घर सिनिवावत हे
नल नहर नदिया समुंदर
तरिया सुखावत हे
बिहनिया मझनिया रथिया ले
लइका चिल्लावत हे
कूलर पंखा एसी फिरिज
सबला भावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

सुरूज देव अपन ताकत ल
सबला बतावत हे
घर के बाहिर भीतरी म
पसीना बोहावत हे
घाम म झन किंजरबे संगी
लू लग जावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

पीपर बर लीम आमा के
छांव सुहावत हे
मरकी के ठंडा पानी ले
पियास बुझावत हे
आमा चटनी बोरे बासी
बड़ मिठावत हे
रद्दा ह अंगरा के होगे
घेंच सुखावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

 

 

 

दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर

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