सुकवि श्री बुधराम यादव जी के नवा  छत्तीसगढ़ी सतसई दोहा संग्रह “चकमक चिनगारी भरे “ से साभार –
——————————————————————————————————–
पहुना  कस बेटी भले – मइके बर दिन चार ।
पर मइके ससुरार के – मरजादा रखवार ॥
सिरतो  बेटी सिरज के  – रोथे  सिरजनहार ।
मया पुतरिया के कदर  – बिसरत हे संसार ॥
जेकर हिरदे नित भरे – सतगुन सुघर बिचार ।
जानव दियना ते धरे – करत रथे उजियार ॥
बिन किताब के घर लगय – जनव झरोखा हीन ।
सुद्ध पवन सत ज्ञान बिन – लगंय रहइया दीन ॥
अंतस ले जेहर रथे -अउ जतका नजदीक ।
हरछिन पुलकित मन रथे – बिन कउनो तसदीक ॥
जिनगी फूलय अउ फरय – बिपदा मन के बीच ।
जइसे चिखला म फूलय – खोखमा ह रस खीच ॥
बड़े  बड़े सुरमा तलक – समे के भइन गुलाम ।
तभे कथे ‘बुध’ चलत रह – समे  ल करत सलाम ॥
————————————————————
————————————————————
::बुधराम यादव ::
रिंग रोड नं 2 चंदेला नगर , बिलासपुर  (छ.ग)
मो. 9755141676
Share
Published by
admin