अनियाव सहय अउ देखय समझय वो तो कायर आए बहादुर नोहे आघू पांव परे पाछू घात करे वो बइरी रे सगा पाहुन नोहे जाके जंग म खेलय होरी असली वोही लाल लहू ये महाउर नोहे
(Chhattisgarhi Kavita Fagun by Laxman Masturiya लक्ष्मण मस्तूरिया की छत्तीसगढ़ी कविता)