बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा 2024 पर बिलासपुर हाई कोर्ट ने अगला आदेश आने तक रोक लगा दी है। यह अहम फैसला 7 अप्रैल 2025 को न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और अरविंद कुमार वर्मा की डिविजन बेंच ने दिया। यह निर्णय विनीता यादव की ओर से दायर रिट याचिका की सुनवाई के दौरान लिया गया।
दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने सिविल जज परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसमें एक शर्त रखी गई थी कि उम्मीदवार का अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकन अनिवार्य होगा। इस शर्त के कारण वे उम्मीदवार जो पूर्णकालिक नौकरी में हैं या बार में पंजीकृत नहीं हैं, वे परीक्षा के लिए अयोग्य हो गए।
विनीता यादव, जो कि एक सरकारी कर्मचारी हैं, ने इस शर्त को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नियम 49 के विरुद्ध बताया। नियम के अनुसार, पूर्णकालिक कार्यरत व्यक्ति अधिवक्ता के रूप में नामांकन नहीं कर सकते।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल भारत ने कोर्ट को बताया कि यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जब तक शीर्ष अदालत का फैसला नहीं आ जाता, परीक्षा कराना उचित नहीं होगा।
इसके बाद हाई कोर्ट ने 18 मई 2025 को प्रस्तावित परीक्षा पर रोक लगाते हुए कहा कि CGPSC कोई भी अगली प्रक्रिया आदेश आने तक न करे।
इससे पहले कोर्ट ने एक अंतरिम राहत देते हुए गैर-पंजीकृत उम्मीदवारों को भी ऑनलाइन आवेदन की अनुमति दी थी। अब यह फैसला कई अभ्यर्थियों के लिए राहत बनकर आया है। सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं, जो इस नियम की वैधता तय करेगा।