Mahendra Kumar Dewangan Mati

होली आवत हे

आगे बसंत संगी,आमा मऊरावत हे बाजत हे नंगाड़ा अब,होली ह आवत हे । कुहू कुहू कोयली ह,बगीचा में कुहकत हे।… Read More

7 years ago

कविता: बराती

गांव गांव में बाजत हे, मोहरी अऊ बाजा | सूट बूट में सजे हे आज दूल्हा राजा | मन ह… Read More

9 years ago

कविता: फूट

वाह रे हमर बखरी के फूट फरे हाबे चारों खूंट बजार में जात्ते साठ आदमी मन लेथे सबला लूट |… Read More

9 years ago

भुंइया के भगवान

मोर छत्तीसगढ़ के किसान जेला कहिथे भुंइया के भगवान | भूख पियास ल सहिके संगी उपजावत हे धान | बड़े… Read More

9 years ago