दुर्ग साइबर फ्रॉड के मामलों पर कड़ी नजर रखते हुए पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई की है। पिछले एक साल में जिले में 1,000 से ज्यादा संदिग्ध बैंक खातों की पहचान की गई है, जिनका इस्तेमाल साइबर ठगी और अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी में हो रहा था। इसी क्रम में बीते दो दिनों में 12 आरोपियों को जेल भेजा गया है, जिनमें से 6 को रविवार को गिरफ्तार किया गया।
एएसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि इन खातों को “म्यूल अकाउंट” के रूप में किराए पर लेकर ठगी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। सुपेला पुलिस ने उत्कर्ष बैंक के दो खातों की जांच की, जिनके मालिक प्रशांत विश्वकर्मा और मोंटू कुमार ने कबूल किया कि उन्होंने अपने अकाउंट किराए पर दिए थे। इनसे 29,036 रुपये का अवैध ट्रांजैक्शन हुआ।
एक अन्य मामले में पंजाब नेशनल बैंक के खाते से गुजरात और महाराष्ट्र के नागरिकों से 50,000 रुपये की ठगी की गई थी। खाता धारक रफीक खान ने भी खाते को किराए पर देने की बात स्वीकार की।
इसी तरह बैंक ऑफ इंडिया के खातों से जुड़े समीर वर्मा और विपिन शुक्ला के जरिए 3 लाख रुपये का ऑनलाइन सट्टे का ट्रांजैक्शन पकड़ा गया। इन खातों का उपयोग मोहम्मद कलाम ने किया और बाद में वह भी इन्हें दूसरों को सौंप चुका था।
भिलाई नगर और मोहन नगर थानों की पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ IT एक्ट और साइबर अपराध की धाराओं में केस दर्ज किया है। दुर्ग पुलिस की यह मुहिम साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रही है।