26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब देश आर्थिक अनिश्चितता, सामाजिक चुनौतियों और वैश्विक कूटनीतिक अस्पष्टता के दौर से गुजर रहा था। 11 साल बाद, 2025 में, भारत न केवल विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि तकनीकी, सामरिक और सामाजिक मोर्चों पर भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
अर्थव्यवस्था: स्थिरता से विकास की ओर
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत धीमी जीडीपी और ऊंची मुद्रास्फीति से हुई थी। लेकिन अब भारत एक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर है। जीएसटी और दिवाला संहिता जैसे संरचनात्मक सुधारों ने भारत को व्यापार के लिए अधिक सुगम और निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया।
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों ने उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई और रोजगार के अवसर पैदा हुए।
डिजिटल इंडिया: नकदी से कोड तक का सफर
2014 में भारत नकद लेन-देन पर आधारित था। आज QR कोड से भुगतान करने वाला हर छोटा दुकानदार इस डिजिटल परिवर्तन का गवाह है। UPI की शुरुआत ने फिनटेक में भारत को वैश्विक अग्रणी बना दिया है। जन धन योजना, भीम ऐप, और डिजिटल साक्षरता मिशन ने देश के सबसे दूरदराज इलाकों को भी बैंकिंग से जोड़ा।
इंफ्रास्ट्रक्चर: रिकॉर्ड गति से निर्माण
मोदी युग में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास ने रफ्तार पकड़ी है। भारत माला और सागरमाला जैसे कार्यक्रमों ने सड़कों और बंदरगाहों की तस्वीर बदल दी। 2014 में जहां सालाना 4,000 किलोमीटर राजमार्ग बनते थे, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 12,000 किलोमीटर पार कर गया है।
वंदे भारत ट्रेनें, उड़ान योजना और 100 से अधिक नए हवाई अड्डों ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को आमजन तक पहुंचा दिया।
रक्षा और आत्मनिर्भरता
2014 में आयातित हथियारों पर निर्भर भारत, अब तेजस, ब्रह्मोस और पिनाका जैसे स्वदेशी रक्षा उत्पादों का निर्यातक बन चुका है। रक्षा निर्यात 10 गुना बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। ‘अग्निपथ योजना’ और ‘मेक इन इंडिया – डिफेंस’ ने सेना के आधुनिकीकरण को नया आयाम दिया है।
शिक्षा और कौशल विकास: भविष्य के लिए तैयार भारत
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है। 5+3+3+4 ढांचे के साथ अब कौशल और बहुविषयक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक 500 कौशल भारत केंद्र उभरती तकनीकों में युवाओं को प्रशिक्षित करें। PM ई-विद्या, SWAYAM, और DIKSHA जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने महामारी के बाद डिजिटल शिक्षा को नई दिशा दी।
विदेश नीति: सीमाओं से परे भारत
भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीतियों ने कूटनीतिक संतुलन में अहम भूमिका निभाई है। अमेरिका, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से गहरे रणनीतिक रिश्तों ने भारत को वैश्विक मंचों पर एक निर्णायक ताकत बना दिया है।
2023 में G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे मंचों पर नेतृत्व ने भारत की भूमिका को “वैश्विक सॉल्यूशन प्रोवाइडर” के रूप में स्थापित किया।
11 वर्षों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने केवल अपनी आर्थिक और भौतिक संरचनाओं को मजबूत नहीं किया, बल्कि एक नए आत्मविश्वास और वैश्विक पहचान के साथ उभरा है। आलोचनाएं और चुनौतियाँ भी रही हैं, लेकिन इस दौर को भारत के “नवोदय काल” के रूप में याद किया जा सकता है — जहां एक सपने को नीतियों, पहलों और प्रतिबद्धता के साथ आकार दिया गया।