मिस इंडिया के लिए नहीं मिली इजाजत, अब बन गयी मिसेज बिहार की रनर अप

मिस इंडिया के लिए नहीं मिली इजाजत, अब बन गयी मिसेज बिहार की रनर अप

मिसेज बिहार की सकेंड रनर अप चुनी गई आरा की डॉ सोनी
रनर अप के साथ बनी बेस्ट पर्सनालिटी वुमन भी

आरा, 3 अक्टूबर. किसी भी कार्य को करने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. ये अलग बात है की उम्र के पड़ाव के साथ लोग अपने मनचाहे कामों को या अपने सपनों को अंजाम देने से पहले जिंदगी के भागम-दौड़ के बीच फंसकर रह जाते हैं और फिर उनके आंखों में टिमटिमाते उनके सपने आंखों से अंधेरे की तरह धूप कर ओझल हो जाते हैं.

लेकिन जिंदगी के तमाम संघर्षों के बीच भी अपने सपनों को अंजाम देने के लिए कुछ लोग अपने जुनून का परिचय देते हैं, जब वे अपने सपनों तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं. क्योंकि समय जिंदगी और जुनून के बीच की तालमेल और तारतम्यता ही उन्हें औरों से अलग बनाता है और उन्हें सपनों तक पहुंचने में उनका हमसफर बन जाता है. ऐसे ही अपने जुनून और जिंदगी के बीच जीत की लकीर खिंचने वाली एक जुनूनी शख्स की कहानी है जिसने शादी के बाद अपने सपनों को जीने निकली. अपने पहले प्रयास में टॉप तो नहीं बन पाई लेकिन सेकंड रनर अप के रूप में चयनित होकर न सिर्फ अपने सपने के उम्मीद को जगाया है बल्कि भोजपुर जिले का नाम भी रौशन कर दिया है. जी हाँ हम बात कर रहे हैं आई-ग्लैम (I-glam) में मिसेज बिहार की दूसरी रनर अप बनी डॉ सोनी सिंह की.

आरा के महावीर टोला निवासी सोनी सिंह तीन भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर है. लम्बा कद तीखे नाक-नक्श और हाजिर जवाब ने बचपन से सोनी को एक अलग पर्सनालिटी वाला शख्स बनाया. स्कूल के दिनों से ही हर तरह के प्रतियोगिताओं में भाग लेती और उसमें अव्वल भी रहती लेकिन आरा जैसे कस्बाई जगह में पली-बढ़ी सोनी मिस इंडिया जैसे प्रतियोगिता में भाग नही ले पाई क्योंकि घर से लड़की को ऐसे प्रतियोगिता में भेजना सम्भव न था. कॉलेज की पढ़ाई के बाद शादी हुई और दाम्पत्य जीवन के बीच सोनी के सपने किसी त्रिशंकु की तरह अधर में लटक गए. सोनी के जीवन मे फिर आई उसकी बेटी शिक्षा. बेटी की परवरिश के साथ सोनी ने अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई को जारी रखा. इतिहास विषय से पीएचडी की डिग्री भी हासिल किया और महाराजा लॉ कॉलेज आरा से इस साल (2024) लॉ स्नातक की डिग्री भी हासिल की. डॉ सोनी सिंह ने पंजाब के मोहाली में स्थित रयात बाहरा यूनिवर्सिटी में 2016-18 तक असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया भी. लेकिन इन सबके साथ उस सपने को भी जीवित रखा जो अक्सर जिंदगी के उलझे हुए उलझनों में अपना दम तोड़ देती है. आज शिक्षा भी कक्षा-1 की छात्रा हो गयी है.

अपने जुनून तक पहुंचने की चाहत ने अचानक से आई-ग्लैम संस्था से सम्पर्क हुआ. उक्त संस्था शादी-शुदा औरतों को उनके सपनों तक पहुंचाने के लिए मंच देता है. सोनी के इस संस्था के सम्पर्क में आने के बाद उसके सपनों को जैसे पर लग गए. मिस इंडिया के टूटे सपनो को मिसेज बिहार का एक प्रतियोगिता जैसे उसे ललचाने लगा और फिर उसने इसके लिए जब अप्लाई किया तो अपने शानदार व्यक्तित्व के कारण दूसरे रनर अप के रूप में चुनी गई. डॉ सोनी ने इस जीत को हासिल तो कर लिया लेकिन वे बताती हैं कि उनका प्रयास मिसेज इंडिया के लिए जारी रहेगा. इस जीत ने उनके जुनून को अब तो हवा दिया है. अब असली मेहनत होगी और वे भी आदिति गोवित्रिकर की तरह लोगों को जीत हासिल कर बताएंगी कि शादी के बाद भी सपनो को पूरा किया जाता है.

डॉ सोनी के इस जीत के बाद घर वाले बहुत खुश हैं. माँ-बाप हों या भाई सभी खुश हैं कि बेटी ने प्रदेश में अपनी पहचान बनाया है. वे ही घर वाले जो कभी मिस इंडिया के लिए इंकार कर चुके थे अब मिसेज इंडिया के लिए तैयारी करने की सलाह दे रहे हैं. शहर ही नही जिले भर के लोगों का बधाई आ रहा है. अब यह बेटी जिले का नाज बन गयी है.

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